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तस्लीमुद्दीन के राजनीतिक विरासत को लेकर दो भाईयों में भिड़ंत, आखिर असली वारिस पुत्र कौन सरफराज या शाहनवाज

अररिया फोटो:तस्लीमुद्दीन
अररिया फोटो:शाहनवाज आलम
अररिया फोटो:सरफराज आलम

अररिया 30 अक्टूबर(Udaipur Kiran) । 1959 में जोकीहाट के सिसौना पंचायत से सरपंच पद का चुनाव जीतकर राजनीतिक सफर तय करते हुए एच डी देवगौड़ा के सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पद तक पहुंचे मरहूम जनाब तस्लीमुद्दीन सीमांचल की राजनीति के शुरू से धुरी रहे।

मो.तस्लीमुद्दीन के बड़े पुत्र जहां उनकी मौजूदगी में ही सियासी पारी शुरू कर दी थी। वहीं उनके निधन के बाद उनके छोटे पुत्र सरफराज आलम भी सियासत के मैदान में कूदे और दो बार से जोकीहाट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

मो.तस्लीमुद्दीन के राजनीतिक असली वारिस को लेकर उनके दो बेटे एक बार फिर आमने सामने है। हालांकि इससे पहले भी 2020 के विधानसभा चुनाव में दोनों भाई आमने सामने थे और छोटे भाई शाहनवाज आलम ने त्रिकोणीय मुकाबले में बड़े भाई सरफराज आलम को पराजित किया था। हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में सीटिंग एमएलए होने के बावजूद राजद ने शाहनवाज आलम का टिकट काट दिया था और सरफराज आलम पर भरोसा कर उन्हें टिकट दिया था। लेकिन शाहनवाज आलम ने एआईएमआईएम के टिकट से चुनाव लड़कर तीन कोणीय मुकाबले में राजद प्रत्याशी सरफराज आलम को परास्त किया। शाहनवाज आलम को एआईएमआईएम कैंडिडेट के रूप में 59,596 और राजद के सरफराज आलम को 52,213 मत प्राप्त हुए थे।वहीं भाजपा के रंजीत यादव 49,933 मत लाया था।

लेकिन जब शाहनवाज आलम ने एआईएमआईएम के पांच विधायकों को तोड़कर राजद में शामिल हुए तो राजद में उनका कद बढ़ गया और बड़े भाई सरफराज आलम पिछड़ते चले गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद ने शाहनवाज आलम पर भरोसा जताया और उन्हें उम्मीदवार बनाया। हालांकि लोकसभा चुनाव में शाहनवाज की हार हुई। लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रदीप कुमार सिंह 6,00,146 और राजद के टिकट पर शाहनवाज आलम को 5,80,052 मत प्राप्त हुआ था।चर्चा की अनुसार,सरफराज आलम ने राजद से लोकसभा चुनाव का टिकट न मिलने पर शाहनवाज आलम की जमकर मुखालफत की थी। जिसके कारण शाहनवाज आलम 20,094 मतों से लोकसभा चुनाव हार गए थे।बावजूद इसके जब 2025 का विधानसभा चुनाव की बारी आई तो राजद ने सरफराज के बदले शाहनवाज पर ही भरोसा जताया और एक बार फिर जोकीहाट से टिकट देकर उन्हें प्रत्याशी बनाया। जिसके बाद सरफराज ने भी राजद से अपना नाता तोड़ा और जन सुराज के टिकट से भाई के खिलाफ मैदान में ताल ठोक दी है। शाहनवाज आलम जहां जोकीहाट से लगातार दो बार से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।वहीं सरफराज आलम जोकीहाट विधानसभा से चार बार प्रतिनिधित्व किया है।

जोकीहाट विधानसभा की सियासत शुरू से ही मो.तस्लीमुद्दीन और उनके परिवार के इर्द गिर्द घुमती रही है।जोकीहाट चुनाव में मो. तस्लीमुद्दीन और उनके परिवार का दबदबा रहा है।केवल 1967 के चुनाव में पीएसपी के नजामुद्दीन, 1980 और 1990 के चुनाव में कांग्रेस के मोईदुर रहमान और 2005 के विधानसभा चुनाव में जदयू के मंजर आलम को कामयाबी मिल पाई। जबकि मो.तस्लीमुद्दीन ने जोकीहाट विधासभा से 1969, 1972, 1977, 1985 और 1995 में जीत दर्ज की।उनके पुत्र सरफराज आलम ने 1996,2000,2010 और 2015 में चुनाव जीतकर विधायक बने।वहीं शाहनवाज आलम 2018 के उपचुनाव और 2020 के चुनाव में जोकीहाट से जीत दर्ज की। 2018 में तस्लीमुद्दीन के मौत के बाद खाली हुए अररिया लोकसभा सीट से राजद ने विधायक सरफराज आलम को टिकट दिया था और कामयाबी हासिल की थी। सरफराज ने राजद के उम्मीदवार के रूप में 5, 09, 334 और भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह ने 4,47,546 मत प्राप्त किए थे।जबकि उससे पूर्व 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के मो. तस्लीमुद्दीन को 4, 07, 978, भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 2, 61, 474 और जदयू के विजय कुमार मंडल को 2, 21, 769 मत प्राप्त हुए थे। सरफराज आलम के सांसद बन जाने के बाद जोकीहाट में 2018 में हुए उपचुनाव में राजद उम्मीदवार के रूप में शाहनवाज आलम को 81, 240 और निकटतम प्रतिद्वंदी जदयू के मुर्शीद आलम को 40,015 मत प्राप्त हुए। लेकिन सीटिंग विधायक होने के बावजूद जब राजद ने शाहनवाज आलम को टिकट नहीं दिया और बड़े भाई सरफराज आलम को उम्मीदवार बनाया तो शाहनवाज आलम एआईएमआईएम उम्मीदवार के रूप में 34.22 फीसदी मत लाते हुए 59, 596, राजद के सरफराज आलम को 29.98 फीसदी अर्थात 52,213 मत प्राप्त हुए।इस प्रकार पिछले चुनाव में छोटे भाई शाहनवाज आलम ने बड़े भाई सरफराज आलम को परास्त किया।

एक बार फिर जोकीहाट विधानसभा चुनाव में दोनों भाई आमने सामने है। शाहनवाज आलम जहां राजद के उम्मीदवार हैं तो सरफराज आलम जन सुराज के।वहीं जदयू ने 2005 में चुनाव जीते मंजर आलम को अपना उम्मीदवार बनाया है।मंजर आलम पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं।जबकि 2018 उप चुनाव में जदयू के टिकट से लड़ने वाले मुर्शीद आलम को इस बार एआईएमआईएम ने अपना उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में जोकीहाट विधानसभा का चुनाव रोमांचक हो गया है। तीन तीन पूर्व मंत्री के साथ पिछले चुनाव में कामयाब रहे एआईएमआईएम की ओर से उम्मीदवारी दिए जाने के बाद जोकीहाट का मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है।लेकिन जोकीहाट के लिए एक यक्ष प्रश्न भी यह है कि सीमांचल की सियासत में अपनी धाक रखने वाले मो.तस्लीमुद्दीन के राजनीतिक असली वारिस आखिर कौन पुत्र हैं। कारण दोनों भाईयों के द्वारा प्रचार प्रसार में अपने मरहूम पिता को याद कर सिंपैथी लेने की कोशिश जारी है।

(Udaipur Kiran) / राहुल कुमार ठाकुर

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