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चूरू विधायक को हाईकोर्ट से झटका, केस वापस लेने की याचिका खारिज

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जोधपुर, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी मार्कशीट मामले में चूरू विधायक हरलाल सिंह के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि केवल इस आधार पर कि कोई आरोपी विधानसभा के लिए चुना गया है, यह उनकी जनता में अच्छी छवि का प्रमाण नहीं हो सकता।

कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश दलीलों को खारिज करने के साथ ही फटकार लगाते हुए कहा वे यह साबित नहीं कर सके कि मुकदमा वापस लेने से न्याय के व्यापक हित कैसे पूरे होंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आवेदन सद्भावना से नहीं बल्कि कानूनी प्रक्रिया को दबाने के लिए दिया गया लगता है। दरअसल वर्ष 2019 में चिमना राम नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि हरलाल सिंह ने वर्ष 2015 में जिला परिषद चूरू के वार्ड नंबर 16 से सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ते समय कक्षा 10वीं की फर्जी मार्कशीट जमा की थी। शिकायत के आधार पर चूरू के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने जांच के बाद धोखाधड़ी, जालसाजी व आपराधिक साजिश सहित अन्य धाराओं में चार्जशीट पेश की। कोर्ट ने संज्ञान लेकर आरोप भी तय किए। तब हरलाल सिंह ने संज्ञान के आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन 11 सितंबर 2023 को उनकी रिवीजन पेटिशन खारिज कर दी गई।

हाईकोर्ट की सरकार को फटकार

हाईकोर्ट ने सरकार के सभी तर्कों को नकारते हुए कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस भुवन गोयल ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि केवल इस आधार पर कि कोई आरोपी विधानसभा के लिए चुना गया है, यह उनकी जनता में अच्छी छवि का प्रमाण नहीं हो सकता। कोर्ट ने केरला सरकार बनाम के. अजीथ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मुकदमा वापसी के लिए स्पष्ट कारण होने चाहिए। न्याय के व्यापक हितों और सार्वजनिक नीति के अनुकूल होना चाहिए।

सरकारी समिति का फैसला संदिग्ध

कोर्ट ने पाया कि राज्य स्तरीय समिति ने मुकदमा वापस लेने के लिए कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया था। समिति की 26 नवंबर 2024 की बैठक के मिनट्स में केवल यह लिखा था कि हरलाल सिंह अब विधायक हैं और पूर्व/वर्तमान सांसद व विधायकों के मामले हाईकोर्ट की अनुमति से ही वापस लिए जा सकते हैं। कोर्ट ने इस तर्क को पूरी तरह नकार दिया और कहा कि यह कोई वैध कारण नहीं है। कोर्ट ने खास तौर पर इस बात पर जोर दिया कि आरोप के अनुसार हरलाल सिंह ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जिला परिषद का चुनाव जीता और सार्वजनिक पद का दुरुपयोग करके सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया। ऐसे गंभीर आरोपों में केवल राजनीतिक पद के आधार पर मुकदमा वापस लेना न्याय व्यवस्था के साथ खिलवाड़ है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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