बीरभूम, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में बाल विवाह का चलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन की ओर से जागरूकता अभियान और कानूनी कार्रवाई के बाद परिवार की ओर से से नाबालिक बेटियों की शादी कराने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन नाबालिक लड़कियों का प्रेम के कारण घर छोड़कर विवाह कर लेने का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। इस प्रवृत्ति पर राज्य बाल संरक्षण आयोग ने गंभीर चिंता जताई है।
आयोग की सलाहकार अनन्या चक्रवर्ती ने बताया कि वर्तमान में लगभग 60 प्रतिशत बाल विवाह प्रेम संबंधों से जुड़कर अंजाम तक पहुंच रहा है, जबकि 40 प्रतिशत मामलों में परिवार की भूमिका सामने आ रही है। उन्होंने कहा, “बाल विवाह से नाबालिक माताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो बेहद चिंताजनक है। अब स्कूल स्तर पर जागरूकता पर और ज्यादा जोर दिया जा रहा है।”
मंगलवार को अनन्या चक्रवर्ती बोलपुर पहुंचीं और बुधवार को जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनुपम सिन्हा के साथ शांतिनिकेतन थाने के चाइल्ड फ्रेंडली कॉर्नर का निरीक्षण किया। उन्होंने थाने के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन से चर्चा कर बाल विवाह रोकने में पुलिस की भूमिका पर भी विचार-विमर्श किया। उनका सुझाव था कि जैसे ही बाल विवाह का मामला सामने आए, तुरंत शिकायत दर्ज होनी चाहिए। गुरुवार को वह जिले के अन्य थानों के चाइल्ड फ्रेंडली कॉर्नर का भी दौरा करेंगी और संभवतः मल्लारपुर भी जाएंगी।
इधर, बीरभूम जिला प्रशासन भी बाल विवाह की घटनाओं को लेकर चिंतित है। अधिकारियों का कहना है कि कई बार नाबालिगों की शादी होने की जानकारी समय पर प्रशासन तक नहीं पहुंचती, जिसके कारण नाबालिग माताओं की संख्या बढ़ रही है। जिला प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन उनका असर सीमित रहा है। इस बीच आयोग ने स्पष्ट किया कि जागरूकता अभियान को और मजबूत करने के साथ-साथ थानों में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया को और सख्ती से लागू करना होगा।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
