श्रीनगर 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कृषि उत्पादन विभाग को निर्देश दिया कि वे गाँवों में किसान खिदमत घरों को जीवंत बहुउद्देशीय केंद्रों में परिवर्तित करें और उन्हें जम्मू-कश्मीर के कृषक समुदाय के लिए “परिवर्तन के साधन“ के रूप में स्थापित करें।
जिलों में केकेजी के कामकाज की समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव ने इस पहल को अग्रणी राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा परिकल्पित एक अभूतपूर्व कार्यक्रम बताया जिसमें कृषि विकास को गति देने, किसानों में जागरूकता बढ़ाने और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की क्षमता है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रत्येक कृषक परिवार का कम से कम एक सदस्य केकेजी में पंजीकृत होना चाहिए। उन्होंने आधुनिक, वैज्ञानिक कृषि तकनीकों पर समय पर सलाह, अनुकूलित मार्गदर्शन और जागरूकता प्रदान करने में इन केंद्रों की अनूठी भूमिका पर प्रकाश डाला।
उनकी उपयोगिता बढ़ाने के लिए मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि केकेजी में अतिरिक्त सेवाओं को एकीकृत किया जाए जिसमें विभिन्न सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन प्रदान करने के लिए सामान्य सेवा केंद्र के रूप में मान्यता देना, कृषि मशीनरी के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर के रूप में कार्य करना, और वित्तीय पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए बैंकों के लिए प्रत्यक्ष बिक्री एजेंट के रूप में कार्य करना शामिल है।
मुख्य सचिव ने समग्र कृषि विकास कार्यक्रम के प्रबंध निदेशक को कृषि से संबंधित व्यावसायिक उपक्रमों की एक विस्तृत सूची तैयार करने को कहा जिन्हें कृषि उद्यमी इन केंद्रों पर स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने उपायुक्तों से मौजूदा केंद्रों की सफलता की कहानियाँ प्रसारित करने का भी आह्वान किया ताकि अन्य केंद्र भी इनका अनुकरण और विस्तार कर सकें।
चरण प् और प्प् के तहत स्थापित केकेजी की स्थिति की समीक्षा करते हुए उन्होंने प्रत्येक उपायुक्त से उनकी संचालन संबंधी तैयारियों के बारे में अद्यतन जानकारी मांगी जिसमें डेस्कटॉप, पिं्रटर और ब्रॉडबैंड जैसी आईटी अवसंरचना की उपलब्धता, साथ ही पात्र केयू द्वारा बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की बिक्री के लिए लाइसेंस शामिल हैं।
कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव, शैलेंद्र कुमार ने उपायुक्तों को नए स्थापित केंद्रों के संचालन के लिए सख्त समय-सीमा निर्धारित करने का निर्देश दिया। उन्होंने आवश्यक आईटी उपकरणों की व्यवस्था, उर्वरक बिक्री के लिए पॉइंट-ऑफ-सेल मशीनों को अपनाने और किसानों के पंजीकरण और सेवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय जन-सम्पर्क का आग्रह किया।
एचएडीपी के एमडी संदीप कुमार ने बैठक में बताया कि पहले चरण के तहत जम्मू-कश्मीर में 500 केकेजी चालू कर दिए गए हैं जिन्हें एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। लगभग 5 लाख किसानों ने केकेजी प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराया है और 1.25 लाख ऐप डाउनलोड किए गए हैं जिनमें से 96 प्रतिषत एंड्रॉइड डिवाइस पर हैं। राजौरी जिला 84,000 से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ किसान पंजीकरण में अग्रणी है।
केकेजी ऐप अब उन्नत सुविधाएँ प्रदान करता है जिनमें चेरी और सेब उत्पादकों के लिए निर्णय-सहायता प्रणाली, शिकायत टिकट प्रबंधन और सलाह के लिए पुश सूचनाएँ शामिल हैं। एक गेमीफिकेशन-आधारित पंजीकरण प्रणाली भी लागू है जिसके तहत 23 प्रतिषत पंजीकृत किसान स्तर 2 पंजीकरण प्राप्त कर चुके हैं।
दूसरे चरण के अंतर्गत जम्मू संभाग में 297 और कश्मीर संभाग में 287 नए केंद्र शुरू होने के लिए तैयार हैं जिससे कार्यक्रम की पहुँच और प्रभाव में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि केकेजी पहल की सफलता प्रशासन और कृषक समुदाय के सहयोगात्मक प्रयासों को दर्शाती है जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी-संचालित, किसान-केंद्रित समाधानों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मज़बूत करना है। एकीकृत सेवाएँ, ज्ञान प्रसार और व्यावसायिक अवसर प्रदान करके केकेजी जम्मू और कश्मीर में किसानों की आजीविका में सुधार लाने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता
