
गुवाहाटी, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने धुबड़ी जिले के भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने विशेष रूप से रणनीतिक महत्व वाले ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर को सबसे संवेदनशील क्षेत्र बताते हुए चेतावनी दी कि यह इलाका सीमा पार से प्रभाव और गतिविधियों के प्रति बेहद असुरक्षित है।
गुरुवार को कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि धुबड़ी दौरे के दौरान उन्होंने चिंताजनक हालात देखे। उन्होंने कहा कि इलाके की दीवारों पर लिखे संदेश लोगों से बांग्लादेश के प्रति निष्ठा जताने का आह्वान करते हैं। सरमा के अनुसार, 22 किलोमीटर लंबे ‘चिकन नेक’ क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश परिवारों की जड़ें बांग्लादेश से जुड़ी हैं, जो 1951 या 1971 से पहले यहां आकर बस गए थे। भले ही आज वे भारतीय नागरिक हैं, लेकिन बांग्लादेश का उन्हें उनकी पुरानी पहचान की ओर मोड़ने का प्रयास भविष्य में गंभीर सुरक्षा खतरा पैदा कर सकता है।
इसी बीच सीमा क्षेत्र के गांवों से नए इनपुट भी सामने आए हैं। गोलकगंज थाना क्षेत्र के लखीमारी और बिषखोवा गांवों के निवासियों ने शिकायत की है कि उन्हें बांग्लादेशी नंबर से धमकी भरे फोन कॉल और ऑडियो संदेश मिले। संदेह है कि यह धमकियां बांग्लादेश स्थित जमात-ए-इस्लामी (जेईएल) से जुड़े तत्वों की ओर से दी गई हैं। संदेशों में कहा गया कि यदि ग्रामीण पुलिस की गिरफ्तारी कार्रवाइयों में सहयोग करेंगे तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और यहां तक कि बॉर्डर पर घरों को आग लगाने की धमकी भी दी गई।
यह घटनाक्रम स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर गोलकगंज में एक युवक की गिरफ्तारी के तुरंत बाद सामने आया है। उस युवक के पास से बांग्लादेशी सिम कार्ड और बांग्लादेश का राष्ट्रीय ध्वज बरामद हुआ था, जिससे सीमा पार के नेटवर्क से गहरे संबंधों की आशंका और बढ़ गई है।
संवेदनशील क्षेत्र में बढ़ती इन गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां धुबड़ी बॉर्डर बेल्ट पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
