
शिमला, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि चंबा जिले में एनएचपीसी की बिजली परियोजनाओं से विस्थापित हुए परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में राज्य सरकार ने एनएचपीसी को विस्थापित परिवारों की सूची सौंप दी है। सरकार का प्रयास है कि इन परिवारों को रोजगार देकर उनकी आजीविका सुरक्षित की जाए।
मुख्यमंत्री सुक्खू मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान विधायक नीरज नैय्यर के मूल प्रश्न और डॉ. हंसराज के पूरक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि चंबा जिले की बैरा स्यूल बिजली परियोजना को स्थापित हुए 40 साल पूरे हो चुके हैं। अब सरकार इसे अपने अधीन लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है और इसके लिए परियोजना प्रबंधन को नोटिस भी दिया गया है। हालांकि, परियोजना प्रबंधन इस मामले में उच्च न्यायालय चला गया है और वहां से उसे स्टे आदेश मिला है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सरकार हिमाचल प्रदेश के अधिकारों के साथ खड़ी है और राज्य के हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि दिसंबर माह में प्रदेश की सभी बिजली परियोजनाओं की समीक्षा की जाएगी।
इस दौरान विधानसभा में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। नैना देवी से भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने विधायकों के प्रश्नों के समय पर उत्तर न मिलने पर चिंता जताई। वहीं, ऊना के विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने यह जानना चाहा कि संदिग्ध निष्ठा वाले अधिकारियों (ओडीआई) को कितनी बार सेवा विस्तार दिया गया और उनमें से कितने अधिकारियों के नाम ओडीआई सूची से बाहर किए गए। इन सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जैसे ही पूरी जानकारी उपलब्ध होगी, विपक्ष को दी जाएगी।
विधानसभा में राजस्व विभाग से जुड़े मुद्दे भी उठे। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में जमीनों की सेटलमेंट प्रक्रिया को और तेज करने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब रजिस्ट्री की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
हालांकि, राजस्व मंत्री के सवालों पर विपक्ष ने सदन से बहिष्कार किया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस विवाद का समाधान निकालते हुए व्यवस्था दी कि अब राजस्व मंत्री से संबंधित विपक्ष के सवालों के केवल लिखित जवाब दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सवालों के उत्तर तैयार करने में विभाग और अधिकारियों का समय व जनता के टैक्स का पैसा लगता है, इसलिए विपक्ष को लिखित रूप में ही जवाब मिलेंगे।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
