
– असम में बिजली आत्मनिर्भरता की दिशा में राज्य सरकार की दीर्घकालिक रणनीति पर जोर
गुवाहाटी, 20 जून (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को ‘थर्ड एम्पियर’ पुस्तक का विमोचन किया, जो असम व पूर्वोत्तर में बिजली क्षेत्र के विकास पर केंद्रित है। यह कार्यक्रम असम विद्युत विनियामक आयोग (एईआरसी) की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित हुआ।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने 2035 तक बिजली में आत्मनिर्भरता पाने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई है, क्योंकि तब तक असम की बिजली आवश्यकता 5,500 मेगावाट तक पहुंच सकती है। वर्तमान में राज्य खुद 500 मेगावाट पैदा करता है जबकि 1,800 मेगावाट केंद्रीय ग्रिड से लेता है। गर्मियों में मांग 2,700 मेगावाट तक पहुंच गई है।
मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने बताया कि 5,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन तथा 8,000 मेगावाट के पम्प्ड स्टोरेज की योजना पर काम हो रहा है। साथ ही केंद्र सरकार ने 3,000 मेगावाट की थर्मल पॉवर परियोजना को भी मंजूरी दी है।
उन्होंने बताया कि बीते साढ़े चार वर्षों में बिजली क्षेत्र में बड़े सुधार हुए हैं—लाइन हानि 30 फीसदी से घटकर 15.5 फीसदी पर आ गई है, स्मार्ट मीटरिंग से तीनों बिजली कंपनियां मुनाफे में हैं और प्रति यूनिट दर ₹1 कम की गई है।
मुख्यमंत्री ने एईआरसी के योगदान की सराहना की और नई नियामकीय रूपरेखाओं के उपभोक्ताओं, उत्पादकों व वितरकों के लिए लाभकारी होने की उम्मीद जताई।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
