Delhi

मुख्यमंत्री ने झलकारी बाई को किया नमन, बोलीं- वीरांगनाओं की वजह से स्वतंत्र हवा में सांस ले रहें

दिल्ली सचिवालय में वीरांगना झलकारी बाई की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा  गुप्ता

नई दिल्ली, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने वीरांगना झलकारी बाई कोली की जयंती के कार्यक्रम में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि झलकारी बाई जैसी वीरांगनाओं के कारण ही आज भारत स्वतंत्र हवा में सांस ले रहा है।

दिल्ली सचिवालय में शुक्रवार को आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में एससी/एसटी/ओबीसी कल्याण मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह और देशभर से आए अखिल भारतीय कोली-कोरी-शंखवार समाज के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने हाल ही में पहली बार ‘प्रख्यात हस्तियों की जयंती व पुण्यतिथि मनाने की योजना’ में वीरांगना झलकारी बाई कोली का नाम भी शामिल किया है। इस पर अखिल भारतीय कोली-कोरी-शंखवार समाज ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का अभिनन्दन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल एक दिन सम्मान करना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनकी गाथा से परिचित कराना है। वीरांगना झलकारी बाई की स्मृतियां संजोने के लिए उन्होंने कोली-कोरी-शंखवार समाज के प्रतिनिधियों का साधुवाद किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई और वीरांगना झलकारी बाई के साथ ही देश में हजारों वीरांगनाएं ऐसी थीं, जो देश की स्वाधीनता और रक्षा के लिए लड़ती रहीं और उन्होंने सर्वस्व बलिदान दिया, लेकिन इतिहास के पन्नों में खो गईं। आज की पीढ़ी को उनके बारे में अवगत कराना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। दिल्ली सरकार उनकी जयंती और पुण्यतिथि के भव्य आयोजन के माध्यम से यह प्रयास कर रही है। दिल्ली भर में 22 नवंबर को वीरांगना झलकारी बाई की जयंती पर भव्य आयोजन होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झलकारी बाई एक साधारण कोली परिवार में जन्मी थीं, उनके पिता ने उनके हुनर को पहचानकर उन्हें सम्पूर्ण योद्धा बनाया, तलवारबाजी, घुड़सवारी और युद्ध कौशल सिखाया। झलकारी बाई का जीवन कुशलता, साहस और बलिदान का अद्वितीय उदाहरण है। रानी लक्ष्मीबाई ने उनके कौशल को देखा और उन्हें अपनी सेना दुर्गा दल में महत्वपूर्ण स्थान दिया। जब अंग्रेज़ों के विरुद्ध निर्णायक युद्ध चल रहा था, उस समय झलकारी बाई ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना रानी का रूप धारण कर अंग्रेज़ों को भ्रमित किया, चक्रव्यूह रचा और पूरी ब्रिटिश सेना को उलझाए रखा, ताकि रानी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें। झलकारी बाई ने यह नहीं सोचा कि मेरा बलिदान याद रखा जाएगा या नहीं। उन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राण सौंप दिए। ऐसा साहस, ऐसा त्याग, ऐसा समर्पण दुर्लभ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीरांगना झलकारी बाई और रानी लक्ष्मीबाई का जीवन इस बात का प्रमाण है कि साहस का कोई लिंग नहीं होता। आज जरूरत है कि हम अपनी बेटियों को भी साहस, आत्मविश्वास और निर्णय-क्षमता से परिपूर्ण करें। इन्हीं वीरांगनाओं के पदचिह्नों पर चलने वाली पीढ़ी भारत को और मजबूत बनाएगी।

एससी/एसटी/ओबीसी कल्याण मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह ने कहा कि महज 28 वर्ष की आयु में वीरांगना झलकारी बाई का बलिदान आज के समय में समझना भी कठिन है। झलकारी बाई ने न केवल एक रानी बल्कि एक वंश और इतिहास की रक्षा के लिए योगदान दिया। झलकारी बाई का बलिदान केवल एक वीरांगना का बलिदान नहीं, राष्ट्र-रक्षा की सर्वोच्च मिसाल है। आने वाले पांच वर्षों में ऐसे सभी महान व्यक्तित्वों के नाम चिन्हित किए जाएंगे और उनकी जयंती राज्य स्तर पर मनाई जाएगी। यह सरकार का संकल्प है कि किसी भी समाज के नायक इतिहास के अंधेरे में न रहें। उन्होंने बताया कि आज एक कार्यक्रम में एक और ऐतिहासिक नाम बाबा लक्खी शाह बंजारा को सूची में जोड़ने का निर्णय लिया गया है, जिनके सामाजिक योगदान और सिखों के नौवें गुरु श्रीतेग बहादुर जी के प्रति आस्था और समर्पण को नमन किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव