
श्रीनगर, जुलाई 4 हि.स.। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में कृषि क्षेत्र न केवल अर्थव्यवस्था की रीढ़ है बल्कि क्षेत्र की संस्कृति और पहचान का भी केंद्र है जबकि केंद्र शासित प्रदेश का भविष्य युवा वैज्ञानिकों के हाथों में है।
शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर (एसकेयूएसटी-के) के 6वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए मुख्यमंत्री उमर ने कहा कि 70 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी हुई है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कृषि के परिवर्तन का मार्गदर्शन करने वाला दृष्टिकोण शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के आदर्शों में निहित है और आज हर प्रयोगशाला और व्याख्यान कक्ष में अभिव्यक्ति पाता है।
उन्होंने कहा कि संस्थान ने समशीतोष्ण बागवानी अनुसंधान, उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टिकाऊ खेती, पशुपालन और जैविक कृषि प्रथाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्नातक केवल डिग्रीधारक नहीं हैं बल्कि जमीनी स्तर पर समस्याओं का समाधान करने वाले बन रहे हैं। मुख्यमंत्री उमर ने कहा कि कल की कृषि कल की चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकती। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण और बाजार में उतार चढ़ाव को बड़ी बाधाओं के रूप में नामित किया साथ ही विकास और अवसर चाहने वाली युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं को भी। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जमीनी स्तर पर वास्तविक परिवर्तन प्राप्त करने के उद्देश्य से कई डेटा संचालित सुधार कार्यक्रम शुरू किए हैं और समग्र कृषि विकास कार्यक्रम इस प्रयास की आधारशिलाओं में से एक है। 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाला यह कार्यक्रम कृषि को उच्च-मूल्य और प्रौद्योगिकी संचालित क्षेत्र में बदलने के लिए विज्ञान, वित्त और शासन को एक साथ लाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कई मोर्चों पर वैज्ञानिकों, उद्यमियों और किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है जिसमें सटीक खेती, डेयरी आधुनिकीकरण और कटाई के बाद प्रसंस्करण शामिल हैं। उच्च घनत्व वाले सेब और अखरोट के बागान, भेड़ पालन क्लस्टर, केसर पुनरोद्धार और नए कृषि व्यवसाय मॉडल सहित 29 प्रमुख परियोजनाओं का समर्थन किया जा रहा है। उन्होंने स्नातकों से कहा कि यह उनका क्षेत्र और उनका अवसर है। सरकार का मिशन युवा आकांक्षाओं को सशक्त बनाना है और खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-तकनीक, डेयरी और बागवानी में सैकड़ों स्टार्ट अप के लिए पहले ही सहायता शुरू कर दी गई है। स्नातकों को समर्थन मिलेगा यदि वे विचारों और व्यावसायिक योजनाओं के साथ आगे आते हैं। उन्होंने कहा कि यदि युवाओं में नेतृत्व करने का साहस है तो सरकार उनके लिए मंच तैयार करेगी। उन्होंने स्नातकों को बदलाव के नए पथ प्रदर्शक कहा। स्नातकों को सीधे संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया को न केवल उनके ज्ञान की बल्कि उनके साहस, करुणा और चरित्र की भी आवश्यकता है। उन्होंने उनसे अपने विचारों के साथ साहसी होने कृषि-स्टार्टअप बनाने, किसान समूहों से परामर्श करने और विस्तार सेवाओं को डिजिटल बनाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि उन्हें विज्ञान और समाज को जोड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी मिट्टी से जुड़े रहना चाहिए और अपनी भूमि और लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिए। चाहे वे बेंगलुरु जाएं या किसी अन्य स्थान पर उन्हें अपने दिल में जम्मू और कश्मीर को लेकर जाना चाहिए। उन्हें एक शांतिपूर्ण और समृद्ध जम्मू और कश्मीर के निर्माण में भी योगदान देना चाहिए।
उन्होंने स्नातकों से पूछा कि क्या वे छोटे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद कर सकते हैं जलवायु-स्मार्ट कृषि के लिए समाधान विकसित कर सकते हैं ग्रामीण रोजगार पैदा करने वाले कृषि-उद्यमों का निर्माण कर सकते हैं या भविष्य की पीढ़ियों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि उनका उत्तर हाँ है तो उन्हें जम्मू और कश्मीर सरकार का पूरा समर्थन मिलेगा।
(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता
