
कोलकाता, 16 जून (Udaipur Kiran) ।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को देशबंधु चित्तरंजन दास की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि देशबंधु भारतीय राजनीति के ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व थे, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के हर चरण में अपनी अमिट छाप छोड़ी। मुख्यमंत्री ने उन्हें ‘सर्वभारतीय नेता’, ‘हिंदू-मुस्लिम एकता के स्तंभ’, ‘निडर वकील’, ‘सुभाष चंद्र बोस के प्रेरणास्रोत’ और ‘कोलकाता के पहले मेयर’ के रूप में याद करते हुए कहा कि बंगाल और भारत की राजनीतिक व सामाजिक चेतना में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
ममता बनर्जी ने यह भी उल्लेख किया कि आदिगंगा के किनारे केओरातला महाश्मशान में स्थित देशबंधु की समाधि पर निर्मित स्मृति-सौध का सर्वांगीण जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार उनके शासनकाल में ही संभव हो पाया। मुख्यमंत्री के अनुसार, यह बंगाल के लिए गर्व की बात है कि इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित कर भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्थल के रूप में तैयार किया गया है।
देशबंधु चित्तरंजन दास, जिनका जन्म पांच नवम्बर 1870 को कोलकाता में हुआ था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे। वह न केवल एक प्रखर वकील और संवेदनशील कवि थे, बल्कि उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को बंगाल में एक व्यापक जनांदोलन में बदल दिया था। वर्ष 1908 में अलीपुर बम कांड के दौरान उन्होंने अरविंद घोष की पैरवी कर ब्रिटिश सत्ता को कानूनी मोर्चे पर चुनौती दी। वे वर्ष 1923 में कांग्रेस से अलग होकर स्वराज पार्टी के संस्थापक बने और औपनिवेशिक व्यवस्थाओं में रहकर स्वशासन की वकालत की।
देशबंधु का निधन 16 जून 1925 को दार्जिलिंग में हुआ था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि “देश ने एक असाधारण आत्मा को खो दिया है।”
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
