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भ्रष्टाचार—लापरवाही एवं अनुशासनहीनता के विरुद्ध मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कठोर कार्रवाई

भ्रष्टाचार—लापरवाही एवं अनुशासनहीनता के विरुद्ध मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कठोर कार्रवाई

जयपुर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशन में राज्य सरकार सरकारी काम-काज में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन की भावना के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में राजकीय कार्य के निष्पादन में लापरवाही, अनुशासनहीनता एवं भ्रष्टाचार के दोषी कार्मिकों के विरुद्ध निरंतर सख्त कार्रवाई की जा रही है। राजकीय सेवाओं में अनुशासन और ईमानदारी के लिए सर्वाेपरि स्थान सुनिश्चित करने के क्रम में राज्य सरकार द्वारा कुल 15 प्रकरणों में 28 कार्मिकों के विरुद्ध विभिन्न अनुशासनात्मक कार्रवाइयां की गई हैं।

राजस्थान प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेने एवं नियम विरुद्ध कार्य करने के प्रकरणों में मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलम्बित किया गया है। साथ ही, चुनाव कार्य में लापरवाही बरतने के एक अन्य मामले में उपखण्ड अधिकारी एवं तहसीलदार के विरुद्ध राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 16 के अंतर्गत आरोप पत्र जारी कर विभागीय कार्यवाही प्रारंभ करने की स्वीकृति दी गई है। इसी प्रकार सेवा से निरंतर अनुपस्थित रहने एवं राजकीय कार्य में लापरवाही करने के आधार पर एक कार्मिक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की अनुशंसा को भी अनुमोदित किया गया है।

13 अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति

अभियोजन स्वीकृति के लंबित प्रकरणों का त्वरित निस्तारण करते हुए तीन प्रकरणों में कुल 13 अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के दो मामलों में न्यायालय से दोषसिद्ध पाए गए अधिकारियों की शत-प्रतिशत पेंशन रोकने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, राज्यपाल द्वारा अनुमोदित तीन अन्य प्रकरणों में 5 अधिकारियों की समानुपातिक पेंशन राशि रोकने का दंड दिया गया है।

सेवानिवृत्ति के पश्चात जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर एक प्रकरण अनुमोदन हेतु राज्यपाल को भिजवाया गया है। वहीं, नियम 17-सीसीए के तहत क्षेत्राधिकार से बाहर कार्यवाही करने के कारण एक प्राचार्य को दंडित किया गया है।

एक अन्य प्रकरण में राजस्थान पुलिस सेवा के एक अधिकारी द्वारा नियम 34-सीसीए के अंतर्गत प्रस्तुत पुनरावलोकन याचिका को खारिज करते हुए पूर्व में प्रदत्त दंड को यथावत रखा गया है।

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(Udaipur Kiran)

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