RAJASTHAN

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल : रामाश्रय वार्ड बन रहे हैं वरिष्ठजनों की सेहत का आधुनिक केंद्र

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जयपुर, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर सभी जिला अस्पतालों में शुरू किए गए रामाश्रय वार्ड (जीरियाट्रिक वार्ड एवं जीरियाट्रिक क्लीनिक) वृद्धजनों के लिए स्वास्थ्य का अनुपम उपहार साबित हो रहे हैं। ये वार्ड जनसेवा का एक सार्थक माध्यम बनकर उभरे हैं। अब तक इस मानवीय पहल से करीब 20 लाख बुजुर्ग लाभान्वित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री के इस संवेदनशील नवाचार से हमारे बुजुर्गों को न केवल स्वास्थ्य लाभ मिला है, बल्कि उनके जीवन में आशा और विश्वास का नया संचार हुआ है। उन्हें उपचार को लेकर चक्कर काटने से मुक्ति मिली ही है और अस्पतालों में होने वाली कठिनाई से वे चिंतामुक्त हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के मार्गदर्शन में 14 मार्च, 2024 से प्रदेश के जिला अस्पतालों में बुजुर्गों के स्वास्थ्य की समुचित देखभाल और अस्पतालों में सम्मानपूर्वक उपचार के लिए रामाश्रय वार्डों का शुभारम्भ किया गया था। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार के इस सेवाभावी नवाचार का लाभ लेने के लिए करीब 19 लाख 70 हजार बुजुर्गों ने अब तक रजिस्ट्रेशन करवाया है।

12.2 लाख लैब टेस्ट और 27 हजार फिजियोथेरेपी सेवाएं

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि बुजुर्गों के लिए प्रारंभ किए गए इस नवाचार के तहत करीब 18 लाख बुजुर्गों ने ओपीडी सेवाओं का और 1 लाख 5 हजार से अधिक वृद्धजनों ने आईपीडी सेवाओं का लाभ मिलया है। करीब 12 लाख 20 हजार लैब टेस्ट इन वार्डों के माध्यम से किए गए हैं। साथ ही, 27 हजार से अधिक रोगियों को फिजियोथैरेपी की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।

हर वार्ड में 10 आरक्षित बैड, नर्सिंग अलार्म और फिजियोथैरेपी इकाई

रामाश्रय वार्डों में 10 फाउलर बैड आरक्षित किए गए हैं। इनमें से 5 बैड महिला एवं 5 बैड पुरूषों के लिए हैं। हर बैड के बीच पार्टीशन कर परदे लगाए गए हैं। बैड के पास नर्सिंग अलार्म सिस्टम लगाए गए हैं, ताकि आपात स्थिति में वृद्धजन तुरंत नर्सिंग स्टाफ को बुला सकें। वार्ड में महिला एवं पुरूष रोगियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। इन शौचालयों में ग्रेब-बार लगाए गए हैं। वार्ड में फिजियोथेरेपिस्ट एवं फिजियाथैरेपी से संबंधित उपकरणों की समुचित व्यवस्था की गई है। इनमें शॉर्ट वेव डायाथर्मी, अल्ट्रासाउण्ड थैरेपी, सरवाइकल ट्रेक्शन, पैल्विक ट्रेक्शन, ट्रांस इलेक्ट्रिक नर्व स्टिमुलेटर जैसे उपकरण शामिल वार्ड में व्हील चेयर, ट्रोली, मेडिसिन कैबिनेट एवं अन्य आवश्यक फर्नीचर उपलब्ध करवाया गया है।

हर वार्ड का नोडल अधिकारी, बैड पर ही जांच

वार्ड का एक नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो वार्ड की समस्त व्यवस्थाओं का प्रबंधन करता है। रोगियों की देखभाल के लिए अलग से नर्सिंग स्टाफ तथा साफ-सफाई के लिए कार्मिक नियोजित किए गए हैं। वृद्धजनों को आईपीडी के समय विशेषज्ञ सेवाएं वार्ड में ही उपलब्ध हो रही हैं। जांच के लिए सैम्पल भी वार्ड से ही एकत्र कर रिपोर्ट भी बैड पर ही उपलब्ध करवाई जा रही है। वृद्धजनों के उपचार एवं अन्य व्यवस्थाओं से संबंधित सभी चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, फिजियोथैरेपिस्ट एवं अन्य कार्मिकों के दूरभाष नंबरों की सूची वार्ड के बाहर प्रदर्शित की गई है।

ओपीडी सेवाओं के लिए जीरियाट्रिक क्लिनिक

राजकीय जिला अस्पतालों एवं उप जिला अस्पतालों में वृद्धजनों को ओपीडी सेवाओं के लिए जीरियाट्रिक क्लिनिक की व्यस्था की गई है। साथ ही अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन काउंटर, जांच काउंटर, दवा वितरण केंद्र आदि पर वृद्धजनों के लिए अलग से व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, ताकि उन्हें अधिक समय कतारों में नहीं खड़ा रहना पडे़ और आसानी से उपचार मिल सके।

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(Udaipur Kiran)

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