

धमतरी, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। 28 अक्टूबर काे सूर्योदय के समय सूर्य देवता को अर्ध्य देकर पूजा का समापन होगा। सोमवार 27 अक्टूबर को लोगों ने सामूहिक रूप से पूजा अर्चना कर खुशहाली की कामना की।
सूर्य को प्रसन्न् करके संतान की मनोकामना तथा परिवार की सुख समृद्धि का पर्व छठ पर्व उल्लास से मनाया गया। सोमवार शाम पोस्ट आफिस और आंबेडकर वार्ड की सीमा से लगे आमातालाब में उत्तरभारतीय और बिहार से धमतरी आकर बसे लोगों ने सामूहिक पूजा अर्चना की। तालाब किनारे गन्ने का मंडप सजाकर सभी व्रतीधारी महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा की।
समाज के उमेश झा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की खष्ठी को छठ पूजा की जाती है। सूर्य उपासना का यह महापर्व सूर्य को प्रसन्न् करके संतान की मनोकामना तथा कुशलता के लिए मनाई जाती है। नगर निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा ने कहा कि छठ का यहां महाप्रभु हम सबको अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अभ्युदय करता है और इसी के साथ ही प्रकृति जो देती है उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का वर्ष में एक बार मौका मिलता है। यह मान्यता एवं परंपरा को अपने जीवन में सजाओ रखने का प्रेरणा के साथ आस्था व श्रद्धा के समर्पण से सनातन की परंपरा को आगे बढ़ते हुए आपसी प्रेम भाईचारा अपना तो एवं एकता को समझ में मजबूती प्रदान करने के लिए समर्पण का भाव रखने की प्रेरणा देती है। इस अवसर पर समाज के प्रकाश झा, जय प्रकाश झा, बालमुकुंद , सोमदत्त, प्रमोद, अविनाश , रविहोकर सिन्हा, सुनील शाह, विनय कुमार, राजेंद्र मिश्रा सहित काफी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे। निगम महापौर रामू रोहरा, पूर्व सभापति राजेन्द्र शर्मा, पार्षदगण कुलेश सोनी, पिन्टू यादव, चंद्रभागा साहू, मुकेश शर्मा, शैलेश रजक सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
विधिवत पूजा कर प्रसाद का होगा वितरण
उल्लेखनीय है कि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को यह व्रत आरंभ होता है। इसी दिन व्रती स्नान करके नए वस्त्र धारण करते हैं। दूसरा दिन खरना होता है। कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना बोलते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती भोजन करते हैं। तीसरे दिन को षष्ठी कहते हैं। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाते हैं। इस दिन ठेकुआ या टिकरी बनाते हैं। प्रसाद तथा फल से बांस की टोकरी सजाई जाती है। टोकरी की पूजा कर व्रती सूर्य को अर्ध्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं और स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। चौथे दिन को सप्तमी कहा जाता है। इस दिन प्रात: सूर्योदय के समय विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित किया जाता है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा