West Bengal

उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ छठ महापर्व, गंगा घाटों पर उमड़ी तेवइयों की भारी भीड़

कोलकाता छठ

कोलकाता, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन मंगलवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के माहौल में संपन्न हो गया। कोलकाता सहित पूरे पश्चिम बंगाल के गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालु महिलाएं और पुरुष पारंपरिक विधि-विधान के साथ नदी, तालाबों और जलाशयों में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किए हैं।

सुबह की पहली किरण के साथ ही श्रद्धालुओं ने ‘छठी मैया’ और सूर्य देव की आराधना की। रंग-बिरंगे परिधानों में सजी महिलाओं के नाक से मांग तक सिंदूर की लकीरें, हाथों में सूप में सजाए गए फल—केला, सेव, नारियल, नाशपाती, नारंगी आदि—आस्था और विश्वास का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। घाटों पर ‘जय छठी मैया’ और ‘सूर्य देव की जय’ के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

राज्य भर में इस अवसर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। कोलकाता पुलिस ने घाटों से लेकर मुख्य सड़कों तक अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया था। वहीं नगर निगम ने घाटों की साफ-सफाई, रोशनी, पेयजल और माइकिंग की विशेष व्यवस्था की थी। नदी में रिवर पेट्रोलिंग टीमों की लगातार गश्त से सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य के समय कोलकाता के गंगा घाट पहुंचकर श्रद्धालुओं से मुलाकात की थी और राज्यवासियों को छठ पर्व की शुभकामनाएं दी थीं। उन्होंने शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण ढंग से पर्व के आयोजन पर प्रशासन की सराहना की।

इस अवसर पर महानगर सहित हावड़ा, हुगली, उत्तर और दक्षिण 24 परगना के सभी घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कई स्थानों पर स्थानीय क्लबों और सामाजिक संगठनों ने व्रतियों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था की थी, जिससे किसी को कोई परेशानी न हो।

उल्लेखनीय है कि छठ पर्व, जिसे सूर्योपासना का लोक महापर्व कहा जाता है, कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पूरे देश और विदेशों में भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने लगा है। छठ व्रत करने वाली महिलाएं 36 घंटे से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखकर सूर्य देव और उषा देवी की आराधना करती हैं। मूर्तिपूजा रहित यह पर्व सादगी, संयम और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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