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जीएसटी स्लैब में बदलाव से हिमाचल को होगा एक हजार करोड़ का घाटा : मंत्री हर्षवर्धन चौहान

मंत्री हर्षवर्धन चौहान

शिमला, 04 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी स्लैब में किए गए बड़े बदलाव से आम जनता को तो राहत मिलेगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश को भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ेगा। राज्य के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि इस फैसले से प्रदेश को करीब एक हजार करोड़ रुपये का घाटा होगा।

उन्होंने गुरूवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि पहले जीएसटी के चार स्लैब थे, लेकिन अब इन्हें घटाकर केवल दो यानी 5 और 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इस बदलाव से कई रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी और उपभोक्ताओं को फायदा होगा, लेकिन राज्यों की आय पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा है। वर्ष 2023 में आई भीषण आपदा से प्रदेश को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जबकि केंद्र सरकार से केवल 1500 करोड़ रुपये की सहायता मिली थी। इस वर्ष भी अब तक प्रदेश को साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में जीएसटी से होने वाला यह नया घाटा सरकारी खजाने पर और बोझ डालेगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे पर पहले ही केंद्रीय वित्त मंत्री से बात की है और केंद्र से आग्रह किया है कि राज्यों को हो रहे इस नुकसान की भरपाई की जाए, ताकि विकास कार्य प्रभावित न हों। उद्योग मंत्री ने कहा कि भाजपा शासित राज्य इस विषय पर खुलकर कुछ नहीं कह रहे, लेकिन गैर-भाजपा शासित राज्य केंद्र सरकार से इस कमी को पूरा करने की मांग कर रहे हैं।

इसी बीच प्रदेश में आपदा के दौरान जंगलों से बहकर आई लकड़ी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस को लेकर हर्षवर्धन चौहान ने भी चिंता जताई। उन्होंने स्वीकार किया कि वन विभाग का जंगलों पर कोई नियंत्रण नहीं है। आईएफएस और डीएफओ स्तर के अधिकारी जंगलों में कम ही जाते हैं। उन्होंने कहा कि नदी में पेड़ बहकर आना स्वाभाविक है, लेकिन कटी हुई लकड़ी और स्लीपर जैसी सामग्री का बड़ी मात्रा में बहकर आना गंभीर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि जंगलों में अवैध कटान हो रही है और इस पर वन विभाग को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश पहले से आपदाओं और वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में केंद्र को चाहिए कि वह राज्यों की आय में हो रही कमी की जिम्मेदारी ले और उचित मदद उपलब्ध कराए।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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