HEADLINES

आरटीआई अधिनियम को केंद्र सरकार ने कमजोर किया: जयराम रमेश

जयराम रमेश

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 2019 में सूचना का अधिकार अधिनियम में संशोधन कर इस कानून की मूल भावना को कमजोर किया है।

सूचना के अधिकार कानून को लागू हुए आज 20 वर्ष पूरे हो गए हैं। कानून को 2005 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार लाई थी। इस अवसर पर आज कांग्रेस पार्टी ने प्रेसवार्ता की।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने प्रेसवार्ता में कहा कि पहले यह कानून नागरिकों और मीडिया को सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जानकारी तक पहुंच देता था, लेकिन 2019 के संशोधनों ने इसकी ताकत को सीमित कर दिया और जवाबदेही पर असर डाला है।

रमेश ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के इतिहास में जब इसका मसौदा तैयार किया गया था, तब इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया। उस समय डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व की सरकार ने स्टैंडिंग कमेटी की सभी सिफारिशें मानते हुए कानून को सभी आवश्यक संशोधनों के साथ पारित किया। लेकिन, 2019 में मोदी सरकार ने स्टैंडिंग कमेटी द्वारा सुझाए गए संशोधनों को अस्वीकार कर दिया, जिससे अधिनियम को पहला बड़ा झटका लगा।

उन्होंने कहा कि पहले अगर किसी सरकारी विभाग से जानकारी नहीं मिलती थी, तो लोग सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कर जानकारी प्राप्त कर सकते थे। लेकिन 2019 के संशोधनों के बाद कई महत्वपूर्ण मामलों में जानकारी तक पहुंच पर असर पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार ने दावा किया था कि करोड़ों लोगों के पास फर्जी राशन कार्ड हैं, जो सूचना का अधिकार में मांगी गई जानकारी में गलत साबित हुआ। नोटबंदी से चार घंटे पहले आरबीआई की केंद्रीय समिति की बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया कि नोटबंदी से काले धन पर कोई असर नहीं होगा। इसके अलावा सूचना का अधिकार के जरिए सरकार से एनपीए डिफॉल्टर्स और बकाएदारों की सूची मांगी गई थी। साथ ही यह जानकारी मांगी गई कि देश में कितना काला धन वापस आया, जिसमें बताया गया कि कोई काला धन वापस नहीं आया। रमेश ने कहा कि इन संशोधनों ने जनता की सूचना तक पहुंच को सीमित कर दिया और अधिनियम के मूल उद्देश्य को कमजोर किया।

(Udaipur Kiran) / प्रशांत शेखर

Most Popular

To Top