
नई दिल्ली, 04 सितंबर (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय ने पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में भूस्खलन और बाढ़ पर चिंता जताई है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि इस पेड़ों की अवैध कटाई इस आपदा की वजह है।
कोर्ट ने संबंधित पक्षकारों से तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की जरुरत है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस आपदा से निपटने के लिए उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित कराएं। सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब वह हमें उसी का जवाब दे रही है। मेहता ने कहा कि वो पर्यावरण और वन मंत्रालय के सचिव से संपर्क करेंगे और उनसे विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। कोर्ट ने मेहता से कहा कि यह एक बहुत गंभीर मामला लग रहा है। मीडिया में दिखाया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में लकड़ी के ब्लॉक बह रह हैं।
यह याचिका अनामिका राणा ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील आकाश वशिष्ठ ने कहा कि लोग सुरंगों में फंसे हुए हैं। याचिका में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए योजना बनाने और भूस्खलन की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्यों में आपदा से निपटने के लिए खास प्राधिकरण हैं, लेकिन वे हिमालयी क्षेत्र में नदियों और पर्यावरण का क्षरण रोक पाने में नाकाम रही हैं। इसकी वजह से हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जीवन खतरे में है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
