
भागलपुर, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । परिधि द्वारा रविवार को शहीद ए आज़म भगत सिंह की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम बड़ी जमीन, गोरडीह, कागजी टोला, कहलगांव और मक्खातकिया नवगछिया में हुआ।
उदय ने कहा कि भगत सिंह चाहते थे कि देश समाजवादी राष्ट्र बने। समाजवादी राष्ट्र का मतलब है कि समाज के लिए देश को सोचना। जल जंगल जमीन या प्राकृतिक संसाधन पर नियंत्रण आम लोगों का होगा। शिक्षा, रोजगार, मुनाफा सब में पूरे समाज का हक होगा। आज कुछ लोग चाहते हैं कि हमारे संविधान से समाजवाद शब्द हटा दिया जाए। समाजवाद हटने का अर्थ होगा कि हमारा देश पूंजीवाद के गिरफ्त में जाएगा। पूंजीवाद का लक्ष्य है एक लगाओ दो पाओ। अर्थात येन केन प्रकारेण अधिक से अधिक मुनाफा हासिल करना। आम लोगों के हाथ से प्राकृतिक संसाधन छीन लेना।
सार्थक भारत ने मंतव्य व्यक्त करते हुए कहा कि भगत सिंह ने बहुत कम ही उम्र में खूबसूरत और बेहतर भारत का सपना देख लिया था। वे सिर्फ साम्राज्यवाद के ही खिलाफ नहीं थे बल्कि धार्मिक उन्माद और धार्मिक विद्वेष के खिलाफ थे। विनय कुमार भारती ने अपने गीत मेरा रंग दे बसंती चोला के माध्यम से भगत सिंह को याद करते हुए कहा आज धार्मिक उन्माद ने युवाओं के भविष्य को अंधकारमय बना दिया है। एक ओर धार्मिक कट्टरता और उन्माद के जहर से समाज को खंडित करने की कोशिश हो रही है। वहीं दूसरी ओर बड़े पैमाने पर नशाखोरी का चलन भी बढ़ता जा रहा है। ललन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भगत सिंह ने शहादत दी पर कभी भी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। वे देश में मौजूद गैर बराबरी, छुआछूत और आर्थिक विषमता को भी खत्म करना चाहते थे। भगत सिंह के आजादी का अर्थ था समता, न्याय और एकता।
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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर
