– धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड के पश्चिम बंगाल के एक आश्रम से जुड़े हैं तार
नोएडा, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । नोएडा में इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो के नाम से ऑफिस खोलकर धोखाधड़ी करने वाले लोगों के तार पश्चिम बंगाल के एक आश्रम से जुड़े हैं। इनके खिलाफ पूर्व में ईडी और सीबीआई छापेमारी कर चुकी है। दोनों संस्थाओं की जांच अभी भी जारी है।
नोएडा पुलिस के अधिकारियों के अनुसार जांच में पता चला है कि नकली पुलिस थाना चलाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए छह आरोपितों के मास्टरमाइंड बिबास चंद्र अधिकारी पश्चिम बंगाल में कृष्णपुर में एक आश्रम संचालक से जुड़ा है। पश्चिम बंगाल में आरोपित एवं उससे जुड़े कुछ लोगों के ठिकानों पर वर्ष 2023 के अप्रैल माह में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने छापेमारी की थी। यह छापेमारी बीएड और डीएलएड कॉलेज संचालन और भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी थी। इसके बाद फरवरी 2024 में सीबीआई ने बिबास का बयान दर्ज किया था।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार जांच में पता चला कि प्रवर्तन निदेशालय ने बीएड और डीएलएड में प्रवेश दिलाने के बदले पैसे लेना और नौकरी का वादा करने के रैकेट की जांच अक्टूबर 2022 में की थी। ईडी ने इनका एक फ्लैट भी सील किया था। ये दोनों जांचें अभी भी जारी है। इसके बाद बिबास और उसके साथियों ने पश्चिम बंगाल से नोएडा का रूख किया। पुलिस आरोपितों की कुंडली और अन्य ब्योरे को खंगाल रही है। पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि पश्चिम बंगाल के रांपुर हाट थाने में बिबास के बेटे और ड्राइवर के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज हुआ था। ये लोग अपनी कार पर इंटरपोल पुलिस का स्टिकर लगाकर घूम रहे थे।
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि आरोपित बिबास चंद अधिकारी ने पहले पश्चिम बंगाल में अपनी सियासी पारी शुरू की थी। वहां पहले नलहाटी-दो से तृणमूल कांग्रेस का ब्लॉक अध्यक्ष बना था। फिर इस्तीफा दिया। इसके बाद अप्रैल 2023 में पश्चिम बंगाल के कई बीएड और डीएलएड कॉलेज संचालक की तरफ से ऑल इंडिया आर्य महासभा का गठन किया गया था। इसमें भी बिबास शामिल था। फिर बिबास की तरफ से आर्य समाज नामक पार्टी का भी गठन किया गया।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार जांच में पता चला कि नोएडा में आकर कार्यालय खोलने का इनका मकसद यह था कि इन्हें इस बात की जानकारी थी कि नोएडा में संपत्ति विवाद, कोर्ट केस ज्यादा है। यहां की आबादी पढ़ी-लिखी, कामकाजी के साथ ग्रामीण भी है और संपत्ति की कीमतें ज्यादा है। इसलिए यहां कार्यालय खोला। फिर नेशनल ब्यूरो ऑफ सोशल इन्वेस्टिगेशन और और सोशल जस्टिस के लेटर हेड पर संपत्ति विवादों में नकली सम्मन भेजकर दबाव बनाने की शुरुआत की थी।
पुलिस उपायुक्त शक्तिमान अवस्थी ने बताया कि रविवार को पुलिस ने पुलिस की तरह खोलें गए कार्यालय के साथ 6 आरोपितों को पकड़ा था। कई कूट रचित दस्तावेज मिले हैं। इस मामले में पुलिस गंभीरता से जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि आरोपितों से कई खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने भी पूछताछ की है। पुलिस अधिकारियों को इस बात की आशंका है कि कहीं इनके तार देशद्रोही ताकतों से तो नहीं जुड़े हैं। अभी हाल ही में नोएडा पुलिस ने भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को लेकर जांच तेज की है। काफी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक जो कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर भारतीय होने का दावा कर, यहां पर रह रहे थे वे पलायन कर गए हैं। नोएडा के विभिन्न सोसाइटियों में काम करने वाली घरेलू सहायिकाएं और बिल्डिंगों के निर्माण कार्य में लगे मजदूर आजकल लापता है। इस तरह के माहौल में पश्चिम बंगाल से जुड़े लोगों द्वारा फर्जी थाना खोलने की घटना ने पुलिस अधिकारियों को सकते में डाल दिया है। पुलिस अधिकारी विभिन्न एंगल से जांच करने को मजबूर हो रहे।
(Udaipur Kiran) /सुरेश
(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
