Uttar Pradesh

मध्यान्ह भोजन योजना में 11 करोड़ से अधिक के गबन का मामला उजागर, पांच आरोपित गिरफ्तार

Girftar aaropit police team VSP

उत्तर प्रदेश, बलरामपुर 27 नवंबर (Udaipur Kiran) । थाना कोतवाली नगर क्षेत्रांतर्गत मध्यान्ह भोजन योजना में सरकारी दस्तावेजों में कूटरचना कर 11 करोड़ रुपये से अधिक सरकारी धन के गबन का मामला सामने आया है। प्रकरण में पुलिस ने पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर न्यायालय भेज दिया है।

गुरुवार को पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि बीएसए बलरामपुर शुभम शुक्ला द्वारा कराई गई विभागीय जांच के उपरांत 26 नवम्बर बुधवार को थाना कोतवाली नगर में मुकदमा पंजीकृत कराया गया था। शिकायत दर्ज कराई कि मध्यान्ह भोजन योजना (डीसी एमडीएम) से जुड़े कई व्यक्तियों ने आपसी मिलीभगत से सरकारी दस्तावेजों में कूटरचना करते हुए प्रथम दृष्टया 11करोड़ रुपये से अधिक धनराशि का गबन किया है। इस संबंध में 45 आरोपिताें के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया ।

उन्हाेंने बताया कि घटना में शामिल आरोपिताें की गिरफ्तारी हेतु दिए गए निर्देशों के क्रम में प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह थाना कोतवाली नगर के नेतृत्व में टीम सक्रिय थी। आज गुरुवार को संभावित स्थानों पर दबिश के दौरान मुखबिर की सूचना पर पांच आरोपिताें मलिक मुनव्वर (धुसवा), फिरोज अहमद (बरगदवा सैफ), अशोक कुमार गुप्ता (बलुआ बलुई), नसीम अहमद (चयपुरवा), तथा मोहम्मद अहमदुल कादरी (मध्यनगर) को शहर के नार्मल तिराहे के निकट से गिरफ्तार किया गया है।

एसपी ने बताया कि पूछताछ में मुख्य आरोपी फिरोज अहमद खान (जिला समन्वयक, मध्यान्ह भोजन योजना) ने स्वीकार किया है कि बेसिक शिक्षा विभाग के आईवीआरएस पोर्टल से विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या के आधार पर शासन द्वारा निर्धारित कन्वर्जन कॉस्ट के अनुसार एक्सेल शीट तैयार की जाती थी। यह शीट बीएसए व वित्त एवं लेखा अधिकारी की जांच के बाद जिलाधिकारी को अनुमोदन हेतु भेजी जाती थी। जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदित राशि को पीएफएमएस पोर्टल पर अपलोड किया जाना चाहिए था, जिससे धनराशि सीधे विद्यालयों के खातों में पहुंच सके। लेकिन आरोपियों ने मूल एक्सेल शीट अपलोड न कर संशोधित (कूट रचित) शीट पोर्टल पर अपलोड कर दी, जिसमें कुछ विद्यालयों की धनराशि बढ़ा दी जाती थी तथा उतनी ही धनराशि अन्य विद्यालयों से घटा दी जाती थी। इससे कुल व्यय में कोई अंतर नहीं दिखता था और गड़बड़ी पकड़ में नहीं आती थी।जिन विद्यालयों के खातों में अतिरिक्त धन भेजा जाता था, वहां के प्रधानाध्यापक, ग्राम प्रधान एवं अभिभावक समिति अध्यक्ष उस धनराशि की निकासी कर आपस में बांट लेते थे। उन्हाेंने बताया कि आगे की जांच जारी है।

(Udaipur Kiran) / प्रभाकर कसौधन