
जबलपुर, 22 जून (Udaipur Kiran) । निजी अस्पताल इन्फिनिटी हार्ट इंस्टीट्यूट में विगत दिवस आयुष्मान कार्ड को लेकर हुए विवाद के चलते एनएसयुआई जिला अध्यक्ष पर ओमती थाना विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोप है कि अस्पताल में युवा कांग्रेस और एनएसयुआई जिला अध्यक्ष ने जबरन घुसकर डॉक्टर व स्टाफ से मारपीट की। जबकि इस मामले को लेकर एनएसयूआई ने सीएमएचओ को एक ज्ञापन सौंपा है।
एनएसयुआई द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार विगत 14 जून को पनागर निवासी एक मरीज को सीने में दर्द की शिकायत के चलते हार्ट इंफिनिटी हॉस्पिटल में जांच के लिए लाया गया जहां पर डॉक्टर ने प्रारंभिक जांच में हृदय में ब्लॉक की शिकायत बताई और परिजनों को सिर्फ पांच मिनट में डिसीजन लेने को कहा। इसके बाद परिजनों ने आयुष्मान योजना के तहत ऑपरेशन करने की बात कही। जिसके बाद संचालक डॉक्टर अंकित अग्रवाल के चेंबर से एक असिस्टेंट बाहर आया और कहने लगा कि आयुष्मान योजना लगाने के बाद भी बीस हजार रुपये अतिरिक्त लगेंगे। जिसका विरोध करने के बाद डॉक्टर निशुल्क ऑपरेशन को तैयार हो गए लेकिन ऑपरेशन के बाद 24 घंटे के अंदर मरीज को सिर्फ इसलिए डिस्चार्ज कर दिया गया क्योंकि वह आयुष्मान से फ्री इलाज ले रहा था।
घर जाने के बाद मरीज की तबीयत बिगड़ी जिसके बाद दोबारा दो दिन बाद उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। तबियत में सुधार न होने के कारण परिजन ने हॉस्पिटल संचालक डॉक्टर अंकित अग्रवाल से सिर्फ इतना पूछा कि सर ऑपरेशन तो ठीक हुआ है न। इस बात को लेकर संचालक ने परिजनों को खरी खोटी सुनाते हुए यह कहा कि आयुष्मान योजना में फ्री में इलाज भी कराना है और सवाल भी करना है, ऐसा बोलते हुए मरीज को गंभीर हालत में ले जाने को कहा गया। जब परिजनों ने इसका विरोध किया तो संचालक डॉक्टर अग्रवाल द्वारा अपने बाउंसरों को बुला कर जबरन मरीज के परिजनों को बाहर कर दिया गया। इस दौरान मौके पर पहुंचे अधिवक्ताओं और एनएसयुआई कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में हाथापाई के साथ झड़प भी हुई।
वहीं अस्पताल प्रशासन ने ओमती पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज सौंपते हुए आरोप लगाया है कि एनएसयुआई नेता एवं उनके साथियों ने न केवल अस्पताल में मारपीट की बल्कि धमकाया भी जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए आरोपिताें की गिरफ्तारी हेतु प्रयास शुरू कर दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉक्टर अंकित अग्रवाल की कार्यशैली को लेकर पूर्व में भी कुछ शिकायते की गई हैं। लोगों का आरोप है कि डॉक्टर जैसे पवित्र पेशे में होने के बाद भी वह अपने अस्पताल में बाउंसर रखते हैं जबकि शहर के तमाम नामचीन डॉक्टर जो कि अपनी विनम्रता के चलते जाने जाते हैं उनको कभी बाउंसर की आवश्यकता नहीं पड़ी। इसके पूर्व भी कोतवाली थाना अंतर्गत रहने वाले एक मरीज ने भी डॉक्टर की कार्यशैली को लेकर तमाम जगह शिकायत भेज गंभीर आरोप लगाए थे परंतु उक्त शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
