
अगर गुड़ सही गुणवत्ता का न हो तो हो
जाएगी दिक्कत
गुरु जम्भेश्वर विवि. की छात्रा ने गुड़ पर शोध पत्र में किया चौंकाने वाला
खुलासा
हिसार, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । अक्सर लोग गुड़ की चाय कम मीठे के लिए या स्वादिष्ट
के लिए पीना पसंद करते है, मगर यह सेहत के लिए खतरनाक भी हो सकती है। अगर गुड़ सही गुणवत्ता
का न हो तो दिक्कत हो सकती है। इसका ध्यान रखने की जरूरत है।
यह चौंकाने वाला खुुलासा हुआ है यहां के गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विश्वविद्यालय की छात्रा अंजलि द्वारा गुड़
की चाय पर प्रस्तुत किए गए शोध पत्र से। फूड टेक्नोलॉजी विभाग की छात्रा द्वारा हाल
ही में आयोजित सेमिनार में प्रस्तुत एक शोध ने गुड़ और उससे बनी चाय की वास्तविकता
पर सवाल खड़े किए हैं। यह शोध पत्र एमएससी फूड टेक्नोलॉजी की छात्रा अंजली शर्मा ने
प्रस्तुत किया। छात्रा अंजली शर्मा ने बताया कि उसने अगस्त की शुरुआत से ही इस टॉपिक
पर एनालिसिस शुरू कर दिया था। आगे इसी टॉपिक पर रिसर्च करने की तैयारी कर रही हैं।
शोध में पाया कि गुड़ को अक्सर चीनी का स्वस्थ विकल्प माना जाता है, लेकिन
विशेषज्ञों के अनुसार, यह वास्तव में चीनी का ही अनशोधित रूप है। इसमें 70-80 प्रतिशत
तक सुकरोज पाया जाता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जी1 -65) मध्यम श्रेणी का है,
जो रक्त शर्करा को तेजी से बढ़ा सकता है। शोध और (भारतीय खाद्य संरक्षण एवं मानक प्राधिकरण)
एफएसएसएआई की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, गुड़ में केवल पोषक तत्व ही नहीं, बल्कि कई
हानिकारक अवशेष भी पाए गए हैं।
सभी को दिया था अलग-अलग टॉपिक : डायरेक्टर
सेंटर फॉर स्किल डवलपमेंट कोर्सेस से डायरेक्टर डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि
सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग टॉपिक दिया गया था, जिस पर सेमिनार में शोध पत्र प्रस्तुत
किया। शोध पत्र में यह स्पष्ट किया गया कि गुड़ पोषक तत्वों से भरपूर है, लेकिन इसके
उत्पादन की अस्वच्छ स्थितियां, भारी धातुओं और कीटनाशकों की मौजूदगी इसे स्वास्थ्य
के लिए खतरनाक बना देती है। इसलिए गुड़ वाली चाय तभी सेहतमंद है, जब उसका सेवन संतुलित
मात्रा में और शुद्ध रूप में किया जाए। छात्रा अंजली ने बताया कि शोध और एफएसएसएआई की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार,
गुड़ में केवल पोषक तत्व ही नहीं, बल्कि कई हानिकारक अवशेष भी पाए गए हैं। जिनका बुरा
प्रभाव पड़ता है। जैसे भारी धातुओं में सीसा, कैडमियम, आर्सेनिक और पारा आदि प्रभाव
डालती है।
कीटनाशक अवशेष
ग्लाइफोसेट, एट्राजीन-खरपतवार नियंत्रण, क्लोरपायरीफॉस, कार्बोफ्यूरान-गन्ने
के कीट, हेप्टाक्लोर- संभावित कैंसरकारी
अन्य रसायन और मिलावट
सोडियम बाई सल्फाइट से गुड़ को सुनहरा रंग दिया जाता है, जिससे सल्फर डाइऑक्साइड
(एसओ2) के अवशेष रह जाते हैं। वॉशिंग सोडा, चाक पाउडर, मेटानिल येलो और रोडामाइन-बी
जैसे हानिकारक केमिकल मिलावट में पाए गए हैं।
फायदे और सावधानियां
गुड़ में आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम जैसे खनिज तत्व पाए जाते हैं, जो एनीमिया
रोकने, हड्डियों को मज़बूत बनाने और पाचन सुधारने में सहायक हैं। इसके साथ ही चेताया
गया है कि इसकी अधिक मात्रा सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है।
विशेषज्ञों की सलाह:
केवल एफएसएसएआाई प्रमाणित और पैक्ड गुड़ का ही उपयोग करें, गुड़ की मात्रा
10-15 ग्राम प्रतिदिन से अधिक न लें, मधुमेह रोगी गुड़ वाली चाय से विशेष सावधानी बरतें।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
