
भोपाल, 14 सितम्बर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि विद्युत उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) अपने अधिकांश एक्स्ट्रा हाईटेंशन सबस्टेशनों में कैपेसिटर बैंकों की स्थापना कर चुकी है। कंपनी के 417 सबस्टेशन में से 412 सबस्टेशन में विभिन्न क्षमताओं के कैपेसिटर बैंक क्रियाशील हैं। इसके अतिरिक्त पुराने सबस्टेशनों में भी आवश्यकता अनुसार नए कैपेसिटर बैंकों की स्थापना के साथ मौजूदा क्षमता में वृद्धि की जा रही है। उन्होंने एमपी ट्रांसको के इस अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को मानक वोल्टेज की गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। यह जानकारी रविवार को जनसंपर्क अधिकारी राजेश पाण्डेय ने दी।
9278.5 एम.व्ही.ए.आर.की स्थापित क्षमता
वर्तमान में राज्य में स्थित एम.पी. ट्रांसको के 220 के.व्ही. सबस्टेशनों पर 145 के.व्ही. स्तर के 32 कैपेसिटर बैंक एवं 132 के.व्ही. सबस्टेशनों पर 36 के.व्ही. स्तर के 719 कैपेसिटर बैंक क्रियाशील हैं। कुल मिलाकर प्रदेश में एम.पी. ट्रांसको 751 कैपेसिटर बैंकों तथा 9278.5 एम.व्ही.ए.आर. की संयुक्त स्थापित क्षमता के साथ उपभोक्ताओं को मानक वोल्टेज पर उच्च गुणवत्ता की विद्युत आपूर्ति उपलब्ध करा रही है।
52 पुराने कैपेसिटर बैंकों की क्षमता वृद्धि
ट्रांसमिशन कंपनी ने प्रदेश में 52 ऐसे पुराने कैपेसिटर बैंकों की पहचान की है, जिनकी समयावधि आयु पूर्ण हो चुकी है और वे अब अपेक्षित कैपेसिटिव लोड प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। इन सबस्टेशनों में अधिक एमवीएआर क्षमता के कैपेसिटर बैंकों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये कंपनी ने अभियान चलाकर इन स्थानों पर कैपेसिटर बैंकों का प्रतिस्थापन एवं क्षमता वृद्धि की जा रही है, ताकि एमपी ट्रांसकों के सभी सबस्टेशनों से गुणवत्तापूर्ण और मानक वोल्टेज में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
कैपेसिटर बैंक से मिलता है लाभ
एक्स्ट्रा हाई टेंशन सबस्टेशनों से विद्युत आपूर्ति के दौरान पॉवर ट्रांसफार्मर्स पर प्रायः इंडक्टिव लोड (सिंचाई मोटरें एवं घरेलू उपकरण) होता है, जिससे वोल्टेज में कमी आती है और विद्युत गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस समस्या के समाधान के लिये कैपेसिटर बैंक लगाए जाते हैं, जो अपने कैपेसिटिव लोड के माध्यम से उस इंडक्टिव प्रभाव को संतुलित कर देते हैं। इसके परिणामस्वरूप पॉवर फैक्टर में सुधार होता है और उपभोक्ताओं को मानक वोल्टेज पर विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति होती है।
(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत
