
प्रयागराज, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा आजमगढ़ व सचिव बेसिक शिक्षा उप्र लखनऊ को व्यक्तिगत हलफनामे के साथ 22 सितम्बर को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने पूछा है कि, याचिकाओं पर याची को वेतन भुगतान पर निर्णय लेने का दो बार पारित आदेश पर विचार किए बगैर मनमाने आदेश क्यों दिये गये। कोर्ट ने अपने आदेश में सहायक निदेशक के प्रत्यावेदन निरस्त करने के दो आधारों कि याची मूल नियुक्ति के समय 19 जुलाई 85 को नाबालिग था और पद विज्ञापित नहीं किया गया था, उसे अस्वीकार कर फिर से निर्णय लेने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने कहा याची की नियुक्ति को कोर्ट ने दोनों आदेशों में अवैध नहीं माना इसके बावजूद अपना ही आदेश दुहराकर अधिकारियों ने याची को न्याय से वंचित क्यों किया। कोर्ट आदेश समझने में विफल रहना समझ से परे है। कोर्ट आदेश पर कुछ नहीं कहा और मनमाने ढंग से आदेश दिया। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से सफाई मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने गणेश चौहान की याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि उसकी नियुक्ति श्री ठाकुरजी जूनियर हाईस्कूल बालकुंडा आजमगढ़ में 1985 मे चपरासी के पद पर की गई थी। 2 दिसम्बर 06 को विद्यालय को राजकीय वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई। 11 जून 07 को सहायक निदेशक ने कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति का अनुमोदन किया और वेतन भुगतान का आदेश दिया। किंतु याची को छोड़ दिया गया। जिस पर दाखिल याचिका निस्तारित करते हुए कोर्ट ने सहायक निदेशक को सुनकर आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
एक नवम्बर 07 को याची का प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया गया। कहा गया कि नियुक्ति के समय याची नाबालिग था और नियुक्ति का विज्ञापन नहीं निकाला गया था। कोर्ट ने आदेश रद्द कर आदेश देने के लिए प्रकरण वापस कर दिया। कोर्ट आदेश की उपेक्षा कर पिछले दो आधारों सहित कि याची जून 2009 तक चार साल गैर हाजिर है, मांग अस्वीकार कर दी। कहा याची वेतन पाने का हकदार नहीं। फिर याचिका दायर की गई। कोर्ट ने 13 जुलाई 17 को सचिव बेसिक शिक्षा को विचार कर आदेश जारी करने का निर्देश दिया। 26 फरवरी 20 को सचिव ने भी कहा नियुक्ति अवैध याची वेतन पाने का हकदार नहीं हैं।
कोर्ट ने अधिकारियों द्वारा कोर्ट के 4 जनवरी 13 व 13 जुलाई 17 को पारित आदेश की उपेक्षा कर निर्णय लेने को गम्भीरता से लिया और दोनों अधिकारियों से सफाई मांगी है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
