Madhya Pradesh

पं दीनदयाल जी के विचारों को आत्मसात कर 2047 के विकसित भारत का संकल्प होगा पूर्ण : राकेश सिंह

पं दीनदयाल जी के विचारों को आत्मसात कर 2047 के विकसित भारत का संकल्प होगा पूर्ण :-  मंत्री राकेश सिंह

जबलपुर, 25 सितंबर (Udaipur Kiran News) । पं दीनदयाल उपाध्याय जी का मानना था कि भारतीयता, धर्म, धर्मराज्य, राष्ट्रवादी और अंत्योदय की अवधारणा से ही भारत को विश्व गुरु का स्थान हासिल हो सकता है और हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मो जी ने 2047 के विकसित भारत का जो संकल्प लिया है उसे पं दीनदयाल जी के विचारों को आत्मसात करके ही पूरा किया जायेगा, और यही दीनदयाल जी को सच्ची श्रद्धांजलि होंगी, यह बात लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने गुरुवार को पं दीनदयाल उपाध्याय जी कि जन्म जयंती और सेवा पखवाड़ा के अवसर पर भाजपा द्वारा आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुये भाजपा कार्यालय रानीताल में कही।

भाजपा कार्यालय में जिला अध्यक्ष रत्नेश सोनकर, विधायक अशोक रोहाणी, प्रदेश कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन, नगर निगम अध्यक्ष रिंकू विज, पूर्व महापौर सदानंद गोडबोले, स्वाति गोडबोले, डॉ जितेंद्र जामदार, रविकिरण साहू, राममूर्ति मिश्रा, अरविंद पाठक, की उपस्थिति में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुये मंत्री राकेश सिंह ने कहा पंडित दीनदयाल उपाध्याय सादा जीवन, उच्च विचार और दृढ़ संकल्प व्यक्तित्व के धनी थे। वे एक मेधावी छात्र, संगठक लेखक, पत्रकार, विचारक, राष्ट्रवादी और एक उत्कृष्ट मानवतावादी थे। उनके सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में सबसे कमजोर और सबसे गरीब व्यक्ति की चिन्ता सदैव होती थी, पूंजीवाद और समाजवाद की जगह दीनदयाल उपाध्याय जी ने नैतिक मूल्यों और लोकव्यवहार के आधार पर एकात्म मानववाद का विचार दिया, उनके लिए राजनीति जन सेवा का माध्यम थी। वे कहते थे कि राजनीतिक व्यक्ति को जन सेवक के रूप कार्य करना चाहिए।

सिंह ने कहा स्वदेशी आर्थिक मॉडल को अपनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एकात्म – मानववाद को रेखांकित किया। इसमें समावेशी और जन समुदाय को सशक्त बनाने का विचार था। उनका मानना था कि स्वदेशी और लघु उद्योग भारत की आर्थिक योजना की आधारशिला होनी चाहिए, जिसमें सद्भाव, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय नीति और अनुशासन का समावेश हो। स्वदेशी की प्राथमिकता रखते हुए वह विश्व स्तर पर हो रहे नवाचारों को अपनाने के भी कतई खिलाफ नहीं थे। हमारी जरूरतों की वस्तुओं का निर्माण भी देश में ही करना चाहते थे ताकि हम आत्मनिर्भर बनें।

सिंह ने कहा दीनदयाल जी का मानना था सभी के लिए शिक्षा और हर हाथ को काम, हर खेत को पानी के उनके दृष्टिकोण ने ही एक लोकतांत्रिक आर्थिक व्यवस्था में आत्मनिर्भर होने का मार्ग प्रशस्त किया है। स्वतंत्रता, समानता और न्याय की गारंटी देने वाली भारतीय संस्कृति पर उनका विचार बिल्कुल स्पष्ट था।

सिंह ने कहा भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुशासन के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में व ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने में दीनदयाल उपाध्याय जी के पदचिन्हों का अनुसरण किया और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ‘‘लोकल से वोकल’’ का सपना देखना वास्तव में हमारे लिए खुशी की बात है। प्रधानमंत्री की इस सोच में पण्डित दीनदयाल जी के विचार पूरी तरह झलकते है। मप्र में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में हमारी सरकार दीनदयाल जी के अंत्योदय के विचार को लेकर जनहित के लिए कार्य कर रही है।

इस अवसर पर संदीप जैन, श्रीकान्त साहू, रवि शर्मा, योगेंद्र सिंह ठाकुर, अभिनव यादव, राजकुमार गुप्ता, नंदकुमार यादव, श्रीराम शुक्ला के साथ बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्त्ता एवं मातृ शक्ति उपस्थित थी।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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