Uttar Pradesh

व्यापारी अपने वित्तीय विवरण किसी से साझा न करें: पुलिस कमिश्नर

साइबर अपराध से बचाव पर आधारित संगोष्ठी में पुलिस कमिश्नर
साइबर अपराध से बचाव पर आधारित संगोष्ठी में पुलिस कमिश्नर

— व्यापारियों को साइबर अपराध से बचाव के लिए दिया टिप्स

— सतर्कता को बताया डिजिटल युग में सबसे बड़ा सुरक्षा कवच,बोले—व्यापारी अज्ञात कॉल, लिंक या मैसेज से बचें

वाराणसी,04 सितम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने गुरूवार को व्यापारियों को साइबर अपराध से बचाव के लिए आवश्यक टिप्स दिया। उन्होंने कहा कि “डिजिटल युग में सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है, व्यापारी अज्ञात कॉल, लिंक या मैसेज से बचें और अपने वित्तीय विवरण किसी से साझा न करें । किसी भी धोखाधड़ी की स्थिति में तुरंत हेल्पलाइन 1930 पर सूचना दें । पुलिस कमिश्नर यातायात लाइन सभागार में व्यापारियों के साथ बैठक कर उन्हें साइबर अपराध से बचाव के लिए जागरूक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट- किसी भी कॉल/वीडियो कॉल पर स्वयं को पुलिस, सीबीआई या सरकारी अधिकारी बताने वाले ठगों से सावधान रहें । वे झूठे केस,वारंट दिखाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ का दबाव डालकर पैसे मांगते हैं। ऐसे कॉल फर्जी होते हैं, तुरंत 1930 पर कॉल करें या एनसीआरपी (नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल) पर शिकायत दर्ज करें ।

उन्होंने कहा कि ठग फर्जी निवेश योजनाओं में अधिक मुनाफा बताकर लोगों को फँसाते हैं। पैसा जमा कराने के बाद न तो निवेश होता है और न ही लाभ, केवल आर्थिक नुकसान होता है। साइबर अपराधी आसान लोन या फर्जी केवाईसी अपडेट का लालच देकर व्यक्तिगत व बैंकिंग जानकारी चुराते हैं और उसका दुरुपयोग कर धोखाधड़ी करते हैं। इसके अलावा अपराधी दूसरों के बैंक खाते किराए पर लेकर अवैध पैसों का लेन-देन करते हैं। ऐसा खाता रखने वाला व्यक्ति भी कानूनी अपराध का भागीदार माना जाता है। ऑनलाइन नौकरी के नाम पर ठग पंजीकरण शुल्क या ट्रेनिंग फीस मांगते हैं। रकम मिलते ही संपर्क तोड़ देते हैं, जिससे आवेदक आर्थिक नुकसान का शिकार हो जाता है। उन्होंने बताया कि धोखेबाज नकली बैंकिंग ऐप डाउनलोड कराने या मोबाइल सेटिंग बदलवाकर संवेदनशील डेटा हासिल कर लेते हैं और खाते से रकम उड़ा देते हैं।

सीपी ने व्यापारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी भी अज्ञात कॉलर, ई-मेल या मैसेज करने वाले व्यक्ति को ओटीपी, एटीएम पिन, यूपीआई पिन,सीवीवी नंबर या बैंक खाता संबंधी जानकारी न दें। यह जानकारी पूर्णत: गोपनीय होती है और साझा करने पर आर्थिक नुकसान निश्चित है ।

उन्होंने कहा कि बैंकिंग, ई-मेल, सोशल मीडिया और व्यापारिक खातों के पासवर्ड समय-समय पर बदलें । पासवर्ड हमेशा मजबूत रखें (अक्षर, अंक और विशेष चिन्हों का प्रयोग करें) और एक ही पासवर्ड को कई जगहों पर उपयोग न करें । किसी भी संदिग्ध कॉल, संदेश, ई-मेल या गतिविधि की स्थिति में तुरंत पुलिस से संपर्क करें । साथ ही, अपने आस-पास के लोगों को भी साइबर अपराध से बचाव के प्रति जागरूक करें ताकि सामूहिक रूप से सुरक्षित वातावरण बनाया जा सके ।

बैठक में डीसीपी काशी जोन गौरव बंशवाल,डीसीपी क्राइम अपराध सरवणन टी, अपर पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) नीतू, अपर पुलिस उपायुक्त यातायात अंशुमान मिश्र, सहायक पुलिस आयुक्त कोतवाली ईशान सोनी, महानगर व्यापार उद्योग समिति के अध्यक्ष प्रेमनाथ मिश्रा, मुख्य संरक्षक आर.के. चौधरी, संरक्षक नारायण खेमका, कोषाध्यक्ष पंकज अग्रवाल व अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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