

मुंबई, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । अहमदाबाद-मुंबई हाईस्पीड रेलवे परियोजना का मुंबई स्टेशन दो साल में और यहां से ठाणे तक भूमिगत सुरंग का निर्माण तीन साल के भीतर पूरा हो जाएगा।
करीब 3600 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में स्टेशन के लिए खुदाई का काम करीब 90 प्रतिशत पूरा हो गया है और कंक्रीट की लेयर बिछाने एवं स्तंभ निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसी तरह से बीकेसी से ठाणे तक बनने वाली 21 किलोमीटर की सुरंग में 4.9 किलोमीटर का काम पूरा हो गया है।
मुख्य परियोजना प्रबंधक यूपी सिंह ने दिल्ली से आए राष्ट्रीय मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत में कहा कि मुंबई हाईस्पीड रेलवे स्टेशन का निर्माण 2027 तक पूर्ण हो जाएगा तथा बीकेसी से ठाणे तक भूमिगत सुरंग का काम भी तीन साल में खत्म हो जाएगा।
निर्माणाधीन मुंबई बुलेट ट्रेन स्टेशन की परियोजना का खाका बताते हुए सिंह ने कहा कि बीकेसी स्थित मुंबई स्टेशन, इस कॉरिडोर का एकमात्र भूमिगत स्टेशन है। इसके लिए भूतल से 32.50 मीटर (लगभग 106 फुट) की गहराई तक खुदाई की जा रही है, जो एक 10 मंजिला इमारत के बराबर है। प्लेटफ़ॉर्म को ज़मीन से लगभग 26 मीटर की गहराई पर बनाने और पटरी करीब साढ़े 29 मीटर पर बिछाने की योजना है। इसमें प्लेटफ़ॉर्म, कॉन्कोर्स और सर्विस फ़्लोर सहित तीन मंज़िलें होंगी। स्टेशन पर 6 प्लेटफ़ॉर्म होंगे और प्रत्येक प्लेटफ़ॉर्म की लंबाई लगभग 415 मीटर और चौड़ाई करीब 10 मीटर होगी। स्टेशन मेट्रो लाइनों और सड़क मार्ग से जुड़ा होगा। स्टेशन के लिए दो प्रवेश/निकास बिंदुओं की योजना बनाई गई है, एक मेट्रो लाइन 2बी के निकटवर्ती आईएलएफएस मेट्रो स्टेशन तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए तथा दूसरा एमटीएनएल भवन की ओर होगा।
उन्होंने कहा कि स्टेशन की योजना इस प्रकार बनाई गई है कि यात्रियों की आवाजाही और सुविधाओं के लिए कॉनकोर्स और प्लेटफार्म स्तर पर पर्याप्त जगह उपलब्ध हो सके। करीब 28 एस्केलेटर, दो-दो लिफ्ट, दो-दो सीढ़ियां और आपातकाल के लिए नौ सीढ़ियां बनायीं जानी हैं। प्राकृतिक रोशनी के लिए एक बड़े रोशनदान का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस स्टेशन पर रोजाना करीब तीस हजार यात्रियों की आवाजाही की क्षमता होगी।
बीकेसी स्थित मुंबई स्टेशन निर्माण में प्रगति की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 90 फीसदी उत्खनन कार्य (अर्थात 16 लाख घन मीटर) पूरा हो चुका है। इस स्थल से कुल 18.7 लाख घन मीटर मिट्टी की खुदाई की जानी है। साइट पर 120 घन मीटर/घंटा क्षमता वाले तीन बैचिंग प्लांट कार्यरत हैं। बैचिंग प्लांट में आइस प्लांट और चिलर प्लांट लगे हैं जो कंक्रीट के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
उन्होंने कहा कि साइट पर एक आधुनिक कंक्रीट लैब उपलब्ध है, जिसमें जल पारगम्यता परीक्षण, रैपिड क्लोराइड पेनेट्रेशन टेस्ट आदि जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। कंक्रीट से संबंधित सभी परीक्षण साइट पर ही किए जाते हैं और नमूने समय-समय पर प्रतिष्ठित लैब में भेजे जाते हैं। बेस स्लैब की कास्टिंग का काम एम-60 कंक्रीट (बेस स्लैब के लिए) और कॉलम के लिए एम-80 कंक्रीट से किया जा रहा है। बेस स्लैब बुलेट ट्रेन स्टेशन के लिए सबसे गहरी निर्माण सतह है। केवल बेस स्लैब कास्टिंग के लिए लगभग 2 लाख घन मीटर कंक्रीट डाली जाएगी। अब तक 51 हजार 321 घन मीटर कंक्रीट डाली जा चुकी है।
सिंह ने कहा कि बेस स्लैब की कास्टिंग तापमान-नियंत्रित कंक्रीट के एम -60 ग्रेड से की जा रही है। प्रत्येक बेस स्लैब की कास्टिंग के लिए नियंत्रित तापमान पर 3000 से 4000 घन मीटर कंक्रीट की आवश्यकता होती है, जिसका उत्पादन आइस प्लांट और चिलर प्लांट से सुसज्जित इन-सीटू बैचिंग प्लांट द्वारा किया जा रहा है। इसी तरह कॉलम को एम 80 तापमान नियंत्रण कंक्रीट से कास्ट किया जा रहा है। साइट के लिए 100 प्रतिशत सेकेंट पाइलिंग (3388 नग), कैपिंग बीम (2203 आरएमटी) और फ्लड वॉल (2078 आरएमटी) का काम पहले ही पूरा हो चुका है। सिंह ने कहा कि बुलेट ट्रेन स्टेशन बनाने के बाद इस पर 94 मीटर ऊंची इमारत बनाने के लिए बाद में एमएमआरडीए को सौंप दिया जाएगा।
————–
(Udaipur Kiran) / सचिन बुधौलिया
