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बीटीएसएस की राष्ट्रीय बैठक 4 व 5 अक्टूबर को : तिब्बत की आजादी के लिए भारत को होना होगा सशक्त

jodhpur

जोधपुर, 3 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । व्यवसाय को लेकर कुंठित अमेरिका के बढ़ते प्रतिबंध व विस्तारवादी कुटिल चीन के साथ खड़े होने की भारत की विवशता के बीच तिब्बत की आजादी को लेकर विचार विमर्श करने और नई रणनीति बनाने के लिए भारत तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस) की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक जोधपुर में होगी।

संघ की यह राष्ट्रीय बैठक ‘जप-तप 2025‘ आगामी 4 व 5 अक्टूबर को स्थानीय सिवांची भवन में होगी। इस बारे में संघ के प्रचार प्रभाग के प्रांत अध्यक्ष एकलव्य भंसाली व प्रांत मंत्री क्षेमेन्द्र माथुर तथा स्वावलंबन निर्माण प्रभाग के प्रांत संयोजक सुमेर दाधीच ने जानकारी दी।

04 व 05 अक्टूबर की इस राष्ट्रीय बैठक में जोधपुर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी, राजस्थान सरकार के उद्योग और वाणिज्य, खेल व युवा मामले, कौशल विकास, रोजगार एवं उद्यमिता और नीति निर्माण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के. के. विश्नोई, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित, लघु उद्योग भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष महावीर चोपड़ा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक हरदयाल, भाजपा विधायक अतुल भंसाली, तिब्बती विमेन एसोसिएशन, मैकलोडगंज से अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री त्सेरिंग डोल्मा, आरएसएस के संघचालक प्रकाश जीरावला आदि शामिल होंगे।

वक्ताओं ने बताया कि तिब्बत की मुक्ति के प्रयास इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि प्राकृतिक संपदा पूरे एशिया में सबसे शुद्ध व सबसे ज्यादा तिब्बत में है। जिसका भरपूर दोहन चीन कर रहा है। वैसे भी तिब्बत की आजादी से मानवता का संरक्षण होगा क्योंकि इस वॉटर टावर ऑफ एशिया अर्थात् तिब्बत के पास इतना शुद्ध पेयजल है कि जिससे पूरे एशिया की प्यास बुझाई जा सकती है और तिब्बत में ही हमारे देवों के देव महादेव का मूल स्थान कैलाश मानसरोवर है, जिसे जैन मत में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की पुण्य भूमि कहा गया है, जिसमें आज भी भगवान बुद्ध के अवतार के तपस्यारत होने की मान्यता है और सिखों के प्रथम गुरू संत नानक देव जी की उदासी अर्थात ज्ञान यात्रा में भी इसी स्थान पर लंबी तपस्या किए जाने की मान्यता है। इस प्रकार सभी सनातनी परंपरा के लिहाज से महत्वपूर्ण कैलाश मानसरोवर की मुक्ति भी तिब्बत की स्वतंत्रता से संभव है इसलिए समग्रता का यह आंदोलन चलाते हुए अखंड भारत के स्वरूप को प्राप्त करने में लगा हुआ यह संगठन है।

भारत तिब्बत समन्वय संघ पूर्ण संगठन :

बीटीएसएस देश का ही नहीं बल्कि नैतिक बल के साथ इस उद्देश्य में, संख्या बल के आधार पर भी विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। अभी तक उसके द्वारा पारित 35 प्रस्तावों के आधार पर भारत को सशक्त करते हुए तिब्बत को स्वतंत्रता दिलाने का कार्य करने की योजना पर काम हो रहा है। ऐसे ही सैकड़ों कार्य शेष हैं जो करने हैं लेकिन सारे काम सरकार नहीं कर सकती इसलिए समाज को आगे आना होगा।

भारत तिब्बत समन्वय संघ अपने आप में पूर्ण संगठन है, जिसमें मूल कार्यकारिणी के अतिरिक्त, महिला, युवा व बाल विभाग है और कुल 25 प्रभाग हैं। यह सारे विभाग व प्रभाग राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, प्रांत पर जिला स्तर पर हैं। आगामी 4 व 5 अक्टूबर की बैठक में कुछ नए प्रभावों की गठन पर निर्णय लिए जा सकते हैं। साथ ही, भारत को हर स्तर की जटिलताओं को दूर करने के लिए एक सुगम राष्ट्र बनाने के लिए वन नेशनल वन इलेक्शन पर भी प्रस्ताव लाया जा सकता है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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