
नई दिल्ली, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रों से अटेंडेंस और अंक देने के बदले रिश्वत लेने के आरोपित दिल्ली यूनिवर्सिटी के जेसस एंड मेरी कॉलेज के एक फैकल्टी सदस्य की सेवा समाप्त करने को सही करार दिया। जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि छात्रों से रिश्वत और गैरकानूनी मांग अकादमिक ईमानदारी के साथ विश्वासघात है।
दरअसल जेसस एंड मेरी कॉलेज की रीडर डॉ. थेलमा जे टालू ने पंचाट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें बर्खास्त करने की अनुशंसा की गई थी। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि पंचाट की कार्यवाही निष्पक्ष और साक्ष्यों से परिपूर्ण थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि पंचाट ने नरम रुख अपनाते हुए जुर्माना नहीं लगाया। ऐसे में पंचाट के फैसले को गलत नहीं करार दिया जा सकता है।
डॉ. थेलमा जेसस एंड मेरी कॉलेज में कॉमर्स विभाग में रीडर थीं। मामला 2008 का है जब कुछ छात्रों ने डॉ. थेलमा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने हाजिरी बनाने और मन मुताबिक अंक देने के लिए नकदी और दूसरे सामानों की मांग की थी। डॉ. थेलमा का कहना था कि उन्हें झूठे तरीके से फंसाया गया था। उन्होंने कहा कि उनकी आडियो रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की गई थी। छात्रों के आरोप के बाद जेसस एंड मेरी कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने जांच कमेटी का गठन किया। जांच कमेटी ने डॉ. थेलमा को दोषी करार देते हुए बर्खास्त करने का आदेश दिया था। अपीलीय कमेटी ने भी डॉ. थेलमा को दोषी पाया था लेकिन बर्खास्तगी की बजाय सेवा समाप्त करने का आदेश दिया था ताकि उन्हें पेंशन का लाभ मिल सके।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
