
— जांच टीम के सामने लाभार्थी ने खोली पोल
— गोबरहा गांव में नेशनल लेवल मॉनिटरिंग टीम का निरीक्षण
मीरजापुर, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत देखने सोमवार को दिल्ली से आई नेशनल लेवल मॉनिटरिंग टीम ने विकासखंड कोन के गोबरहा गांव में स्थलीय निरीक्षण किया। टीम ने जहां ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं से संवाद कर योजनाओं का फीडबैक लिया, वहीं प्रधानमंत्री आवास और मनरेगा से जुड़े कार्यों की पड़ताल में कई खामियां उजागर हुईं।
सबसे चौंकाने वाला खुलासा उस वक्त हुआ जब एक लाभार्थी की पत्नी ने टीम के सामने खुलकर कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें आवास दिलवाने के लिए गांव के प्रधान पति को 20 हजार रुपये देने पड़े। यह सुनकर जांच टीम भी हैरान रह गई।
दिल्ली से आई टीम में अंकुर कुमार सैनी और अमित कुमार सिंह शामिल थे।
उन्होंने गांव पहुंचकर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित 9 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से मुलाकात की और उन्हें रोजगारोन्मुखी योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने महिलाओं को समूह के जरिए आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
निरीक्षण के समय खंड विकास अधिकारी बबीता सिंह, एडीओ आईएसबी राजेश कुमार सिंह, गांव की प्रधान सुनीता देवी, सचिव विनीत कुमार मौर्य सहित अन्य ग्रामीण और कर्मचारी मौजूद रहे।
–पौधारोपण पर फेल मिली हकीकत
टीम ने विगत वर्ष हुए पौधारोपण कार्य की भी जानकारी ली। इस पर ग्रामीणों ने बताया कि एक भी पौधा अब जीवित नहीं बचा है, जिससे योजनाओं की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
–मनरेगा में भी उठे सवाल
टीम ने गांव के सचिव विनीत कुमार मौर्य से मनरेगा से संबंधित लेबर बजट, सोशल ऑडिट रिपोर्ट और टोल फ्री नंबर से जुड़ी सूचनाएं मांगी। इसके साथ ही मनरेगा से कराए गए कार्यों का भी स्थल निरीक्षण किया गया।
–अधूरे आवास और रिश्वत का आरोप
टीम ने वर्ष 2022-23 के प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी अजय कुमार के घर का निरीक्षण किया। आवास अधूरा मिला। जब टीम ने कारण पूछा तो अजय की पत्नी सविता ने बताया कि उन्हें आवास स्वीकृत करवाने के लिए 20 हजार रुपये प्रधान पति को देने पड़े। इस पर टीम ने तुरंत संज्ञान लिया और आगे की रिपोर्ट तैयार करने की बात कही।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
