
बीकानेर, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने शनिवार काे कहा कि ऊंट की स्थिति सुधारने के लिए राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) के वैज्ञानिकों को मिशन मोड में कार्य करना चाहिए। उन्होंने ऊंटनी के ए2 दूध एवं घी की प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर जोर देते हुए कहा कि वैज्ञानिक प्रयासों से इसकी कीमत कई गुना बढ़ाई जा सकती है।
वे उन्नयन दिवस के रूप में समारोहपूर्वक कार्यक्रम में बताैर मुख्य अतिथि पद से बाेल रहे थे।उन्होंने कहा कि ऊंटपालन व्यवसाय की समस्याओं का काफी हद तक समाधान ऊंट पालकों के पास है, अतः उन्हें वैज्ञानिकों के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। एनआरसीसी को भी उनके साथ गहन विचार-विमर्श कर योग्य मार्गदर्शक खोजने चाहिए। । उन्होंने ऊंट की आबादी बढ़ाने हेतु क्लोनिंग जैसी तकनीकों, इको-टूरिज्म और मिश्रित दूध (फॉर्मुलेशन) पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की बात कही। उन्होंने किसानों को उद्यमिता की दिशा में आगे बढ़ने, ऊंटनी के दुग्ध उत्पादों का उपयोग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी संस्थानों में किए जाने, तथा समन्वित प्रयासों से ऊँटपालन को नई दिशा देने की आवश्यकता जताई ताकि ऊंट पालकों की आय में वृद्धि की जा सकें।केन्द्र के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने कहा कि देश में ऊंटों की स्थिति चिंताजनक जरूर है, परंतु बदलते परिवेश के अनुसार इस प्रजाति की बहुआयामी उपयोगिताएं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक प्रकार की ‘’चलती-फिरती फार्मेसी’’ होने के कारण यह आज भी प्रासंगिक बनी हुई है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. आर्तबन्धु साहू, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु पोषण शरीर क्रिया विज्ञान संस्थान, बैंगलूरू, डॉ. अरुण कुमार तोमर, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, आयोजन सचिव डॉ. राकेश रंजन ने विचार रखे।
इस अवसर पर केन्द्र द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना के तहत राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम तथा अन्य विविध गतिविधियां भी आयोजित की गई। कार्यक्रम में बीकानेर स्थित परिषद के संस्थानों के वैज्ञानिकों, एनआरसीसी स्टाफ, कोटड़ी गांव एवं इसके आस-पास क्षेत्रों के महिला एवं पुरुष किसानों तथा गणमान्य जनों ने शिरकत कीं।
—————
(Udaipur Kiran) / राजीव
