
लखनऊ के गोमती पुस्तक महोत्सव में शामिल हुए डाक विभाग,वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल
वाराणसी,23 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । लखनऊ विश्वविद्यालय में 20 से 28 सितंबर तक आयोजित गोमती पुस्तक महोत्सव में डाक विभाग के वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल (पीएमजी)कर्नल विनोद कुमार ने भी भागीदारी की। महोत्सव में भाग लेने के बाद पीएमजी कर्नल विनोद ने मंगलवार को बताया कि डाक विभाग के बड़े नेटवर्क का इस्तेमाल पुस्तक प्रकाशक पुस्तकों की बिक्री के लिए कर सकते हैं। इससे पुस्तकों को पाठकों तक आसानी से पहुँचा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इंडिया पोस्ट की रिटेल पोस्ट सेवा के तहत विभाग के साथ एक अनुबंध करने के बाद चिन्हित डाक घरों के शोकेस का उपयोग करके प्रकाशक अपनी पुस्तकों को जनता के बीच बिक्री के लिए उपलब्ध करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय के शिवाजी मैदान में इस नौ दिवसीय गोमती पुस्तक महोत्सव-2025 में 225 से ज्यादा स्टॉल्स लगाए गए हैं। यहां आईएएस व वरिष्ठ लेखक पार्थ सारथी सेन शर्मा की किताबें युवाओं को भा रही है। मेले में आए मनोविज्ञान के छात्र मोहम्मद फैज ने ‘लव इन लखनऊ और आर्यन कुशवाहा ने ‘हम हैं राही प्यार के जैसी पुस्तकें खरीदकर वरिष्ठ लेखक के प्रति अपना प्यार जाहिर किया। 28 सितंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में लोगों को फ्री एंट्री है और इसके साथ ही प्रिंट रेट से 10 प्रतिशत छूट पर किताबें मिलेंगी।
उन्होंने बताया कि नौ दिनों तक चलने वाले इस पुस्तक महोत्सव में आगंतुक समूह चर्चाओं, लेखक संवाद, काव्य पाठ, मुशायरा, पुस्तक विमोचन, स्टोरीटेलिंग सेशन और सांस्कृतिक संध्याओं का आनंद ले सकेंगे। इस दौरान विशेष वक्ताओं आईआईटी लखनऊ के निदेशक डॉ. अरुण मोहन शेरी, वरिष्ठ लेखक गुलाब कोठारी, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के चांसलर एवं लेखक संतोष चौबे, लेखक-कवि-अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा, उपन्यासकार शीला रोहेकर, कथाकार शिवमूर्ति, पद्मश्री डॉ. विद्या विंदु सिंह तथा चर्चित अवधी कवि-लेखक व संपादक डॉ. रामबहादुर मिसिर आदि को भी सुन सकेंगे। महोत्सव में हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यास गुनाहों का देवता, तमस, गोदान और दीवार में एक खिड़की रहती है जैसी पुस्तके बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया निशुल्क हजारों ई-बुक्स पढ़ने को दे रहा है। इसके लिए एनबीटी इंडिया के ऐप राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय को डाउनलोड करना है जिसमें 23 भाषाओं में लिखीं तीन हजार से ज्यादा ई-बुक्स नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
