मुंबई, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को वसई-विरार नगर निगम के पूर्व आयुक्त अनिल पवार की गिरफ्तारी को ‘अवैध’ बताया है और पवार को तत्काल रिहा करने का आदेश जारी किया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने अनिल पवार को 169 करोड़ रुपये की रिश्वत मामले में इसी साल जुलाई महीने में गिरफ्तार किया था।
पूर्व आयुक्त अनिल पवार की ओर से ईडी की कार्रवाई के विरोध में दायर की गई याचिका की सुनवाई बुधवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड़ की पीठ के समक्ष हुई। याचिका की सुनवाई करते पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी के समय ईडी के पास कोई ठोस सामग्री नहीं थी। पीठ ने कहा, हमारी राय है कि 13 अगस्त तक गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के पास धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19 (किसी व्यक्ति को अपराध का दोषी मानने का कारण) के तहत आवश्यक कोई सामग्री नहीं है। पीठ ने कहा, हमारा मतलब है कि कोई ठोस सामग्री नहीं है और ईडी का पूरा मामला कुछ आर्किटेक्ट और डेवलपर्स के बयान पर आधारित है।
पवार को ईडी ने 13 अगस्त को गिरफ्तार किया था। उन्होंने मामले में अपनी गिरफ्तारी और बाद में विशेष अदालत द्वारा उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने बुधवार को विशेष अदालत के आदेश को भी रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा, याचिका इस हद तक सफल है कि 13 अगस्त को याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अवैध है। विशेष न्यायाधीश द्वारा उन्हें हिरासत में लेने के आदेश रद्द किए जाते हैं। याचिकाकर्ता को रिहा किया जाए। आदेश सुनाए जाने के बाद, ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने स्थगन की मांग की, जिसे उच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि अनिल पवार पर बिल्डरों और डेवलपर्स के साथ मिलीभगत का आरोप है, जिनके द्वारा वसई और विरार में 41 अवैध इमारतों का निर्माण किया गया था। पवार और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। ईडी ने इस साल जुलाई में अनिल पवार को गिरफ्तार किया था और आरोप लगाया था कि पवार ने वसई-विरार सिटी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन आयुक्त के रूप में अपनी नियुक्ति के दौरान तीन वर्षों में 169 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी।
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(Udaipur Kiran) यादव
