
हरिद्वार, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मनुष्य के जीवन में हृदय केवल एक मांसपेशी नहीं है, बल्कि यह जीवन की धड़कन है। जब शिशु गर्भ में पहली बार धड़कता है, तब जीवन का संचार होता है और जब यह धड़कन रुकती है, तब जीवन का पटाक्षेप हो जाता है। आज के युग में जब जीवन की गति तीव्र है, काम का बोझ भारी है और भोजन-पानी तक कृत्रिम हो गए हैं, हृदय-स्वास्थ्य की रक्षा एक वैश्विक चुनौती बन चुकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष करोड़ों लोग हृदय रोग से असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं। हृदय को स्वस्थ रऽने के लिए केवल दवा पर्याप्त नहीं, जीवनशैली में परिवर्तन के साथ ही शरीर, मन और आत्मा तीनों का संतुलन आवश्यक है।
उपरोक्त विचार विश्व हृदय दिवस पर स्वामी रामप्रकाश चैरिटेबल चिकित्सालय के मेडिकल डायरेक्टर और एसोसिएशन ऑफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया उत्तराखंड चौप्टर के अध्यक्ष डा. संजय शाह ने कहा कि इस वर्ष की थीम दिल धड़कता रहे, जीवन मुस्कुराता रहे यानि स्वस्थ रहें-प्रसन्न रहें। उन्होंने कहा कि हृदय रोग केवल डॉक्टर या दवा से नहीं मिटता अपितु इसके लिये जीवनशैली मंे सुधार अति आवश्यक है। इसके लिये हमें यह समझना होगा कि योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि यह शरीर-मन-आत्मा का विज्ञान है।
अनुलोम-विलोम से रक्तचाप संतुलित होता है। कपालभाति से फेफड़े शुद्ध होते हैं और रक्त में ऑक्सीजन बढ़ती है। ध्यान करने से पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय होता है, जो हृदय को शांति और स्थिरता देता है। सुबह सूर्य उदय के साथ उठना, नंगे पैर हरी घास पर चलना, सूर्य की हल्की धूप लेना, समय पर भोजन और पर्याप्त नींद लेना।
उन्होंने बताया कि हृदय रोगों का मुख्य कारण है उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल की अधिकता। कोलेस्ट्रोल के अणुओं का आकार भी दिल के रोगों की संभावना बढ़ाता है। रक्त नलिकाओं की भीतरी दीवारों पर बुरे कोलेस्ट्राल का जमना अथेरोस्टकलेरोसिस कहलाता है।
इसके कारण रक्तत वाहिनियां संकरी हो जाती हैं और हृदय को रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि हम भोजन में वसा की मात्र को सीमित करें, तला-भुना और चिकनाई वाले खाने से वजन तो बढ़ता ही है साथ ही यह चिकनाई खून की धमनियों में जम जाती है जिससे खून का दौरा धीरे-धीरे कम होता जाता है। काली चाय को भी दिल की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
डा. संजय शाह ने बताया कि आधुनिक युग की सुविधा-संपन्नता ने हमें गति तो दी, परंतु स्वास्थ्य छीन लिया। पहले लोग खेतों में काम करते थे, पैदल चलते थे, भोजन ताजा और प्राकृतिक होता था। अब अधिकांश लोग घंटों कुर्सी पर बैठे रहते हैं, तनाव में जीते हैं, और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों पर निर्भर हैं। तनाव आज का सबसे बड़ा हृदय-विनाशी कारक है। जब व्यक्ति लंबे समय तक मानसिक दबाव में रहता है, तो रक्तचाप बढ़ जाता है। पैकेट में बंद भोजन स्वाद में भले ही आकर्षक हो, परंतु यह अतिरिक्त नमक और शक्कर से भरपूर होता है। इससे मोटापा, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। मोटापा भी दिल की बीमारियों को खुला निमन्त्रण है।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
