Maharashtra

राष्ट्रीय स्वस्थ मिशन कर्मियों की अनूठी हड़ताल, धरना में किया रक्तदान

Blood donation done during the protest

मुंबई,22 अगस्त ( हि.स.) । शुरुआती दो दिनों तक ठाणे शहर भारी बारिश के कारण ठप रहा। लेकिन अब जब बारिश थम गई है, तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अधिकारी और कर्मचारी और भी ज़्यादा गुस्से में हैं। हालाँकि, इस गुस्से में मानवता भी दिखाई दे रही है। धरना स्थल पर कई लोगों ने स्वेच्छा से मरीजों के लिए रक्तदान किया, जिससे यह साबित हुआ कि संघर्ष केवल अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए भी है।आज इस हड़ताल का चौथा दिन है।

आज ठाणे जिला कलेक्टर कार्यालय और जिला परिषद के प्रवेश द्वार के बाद आज सिविल अस्पताल में विरोध प्रदर्शन और तेज़ हो गया। स्वास्थ्य सेवाएँ बाधित हो गई हैं और व्यवस्था सचमुच घुटने टेक चुकी है। वही कर्मचारी जिन्होंने दो दशकों की महामारी, कोविड महामारी और दूरदराज के इलाकों में आपातकालीन सेवाओं के दौरान अपनी जान जोखिम में डाली, आज अपने न्याय के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। हम जन स्वास्थ्य की रीढ़ हैं, तो फिर हमारे साथ न्याय क्यों नहीं हो रहा? उन्होंने ज्वलंत प्रश्नों के साथ पूछा।

प्रदर्शन रिपोर्ट के अनुसार, 67 संवर्गों में सरकार के निर्णय दिनांक 14-03-2024 के अनुसार समायोजन किया जाए।

10% वेतन वृद्धि तत्काल लागू की जाए।

5 और 7 वर्ष पूरे कर चुके कर्मचारियों को लॉयल्टी बोनस दिया जाए।

15,000/- से अधिक मानदेय पाने वाले सभी कर्मचारियों के लिए ईपीएफ और ग्रेच्युटी योजना लागू की जाए।

50 लाख का दुर्घटना मृत्यु बीमा और 25 लाख का प्राकृतिक मृत्यु बीमा प्रदान किया जाए।

सीएचओ के पद के लिए 40,000/- का नियमित वेतन दिया जाए।

अनुचित असंतोषजनक रिपोर्ट पर रोक लगाई जाए।

दूरस्थ क्षेत्रों के कर्मचारियों को बायोमेट्रिक/चेहरे की पहचान से छूट दी जाए।

हालाँकि बारिश का ख़तरा कम हो गया है, महामारियाँ सिर उठा रही हैं, अस्पतालों पर भारी दबाव है। ऐसे समय में, स्वास्थ्य कर्मचारियों को ही सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में मनीष खैरनार, प्रदीप पाटिल, विनोद जोशी, जयवंत विश, रोशन पाटिल, संगीता मोरे, एडवोकेट अर्चना शेंगोकर सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी और अधिकारी मौजूद थे।

विरोध प्रदर्शन का मानवीय चेहरा

विरोध प्रदर्शन की तीव्रता के बावजूद, कर्मचारियों ने मानवता की मिसाल पेश की। जब ज़िले में रक्त की कमी हुई, तो प्रदर्शनकारियों ने स्वयं रक्तदान करके एक अलग मिसाल कायम की। हम न्याय मांग रहे हैं, दया नहीं! नारों के साथ इस रक्तदान ने विरोध प्रदर्शन को एक अलग ही ऊँचाई दी।

राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन अधिकारी,कर्मचारी संयुक्त कॉकस समिति के राज्य समन्वयक मनीष ख़ैरनार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन काम बंद आंदोलन किया जा रहा है। ठाणे ज़िले के लगभग 600 कर्मचारी इस विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। हम इंसाफ़ की मांग कर रहे हैं, दया की नहीं। अगर 10-15 साल की मेहनत और खून-पसीने की मेहनत के बाद भी स्थायी सेवा नहीं मिलती,तो कोई समझौता नहीं… लड़ाई अंत तक जारी रहेगी।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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