
कोलकाता, 04 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । पश्चिम बंगाल में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की नियुक्तियों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के कुछ जिलों में चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करते हुए करीब दो हजार बूथों पर लगभग 4500 संविदा कर्मियों को बीएलओ नियुक्त कर दिया गया है। अब इन नियुक्तियों को मंजूरी देने वाले जिला स्तरीय चुनाव अधिकारियों से चुनाव आयोग स्पष्टीकरण मांग सकता है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय को मिली रिपोर्ट के अनुसार, जिन संविदा कर्मियों को बीएलओ नियुक्त किया गया है, वे आयोग द्वारा निर्धारित पात्रता मानकों पर खरे नहीं उतरते।
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बीएलओ की नियुक्ति के लिए पहले स्थायी सरकारी कर्मचारियों (ग्रुप-सी या उससे ऊपर) तथा सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। केवल तभी संविदा कर्मियों पर विचार किया जा सकता है, जब पर्याप्त संख्या में स्थायी कर्मचारी या शिक्षक उपलब्ध न हों।
सूत्रों के मुताबिक, संविदा कर्मियों की इन नियुक्तियों के लिए न तो पर्याप्त कारण बताए गए और न ही सीईओ कार्यालय से आवश्यक स्वीकृति ली गई। इस कारण संबंधित जिलों के चुनाव अधिकारियों से अब जवाब तलब किया जा सकता है।
सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि यदि अधिकारी अपने निर्णय को लेकर संतोषजनक स्पष्टीकरण देने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
सीईओ कार्यालय ने इस मामले में उन जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है, जहां ये दो हजार बूथ स्थित हैं। उन्हें इन अनियमित नियुक्तियों पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।
हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने राज्य के शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर सरकारी स्कूलों के कुछ शिक्षकों द्वारा बीएलओ की ड्यूटी से बचने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के एकल पीठ के आदेश के बावजूद बीएलओ ड्यूटी से इनकार करने वाले शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
