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धर्म छुपाकर मांगी मदद फिर किया ब्लैकमेल, उच्च न्यायालय ने सजा रखी बरकरार

नैनीताल, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय के समक्ष एक ऐसा विचित्र मामला आया जिसमें एक ठग ने अपनी धार्मिक पहचान छुपा कर एक युवती से पहचान बढ़ाई और अपने मां-बाप का एक्सीडेंट हो जाने का हवाला देकर रुपये उधार ले लिये। आराेप यह भी उस ठग ने बाद में उन्हीं मां-बाप की माैत के आरोप में फंसाने की धमकी देकर 15 लाख रुपये हड़प लिए। इस मामले में कोर्ट ने निचली अदालत और सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए आरोपित की सजा को बरकरार रखा है।

न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार जनवरी 2009 में सतपुली थाना क्षेत्र में पीड़िता बबली देवी को एक महिला मोनिका के नाम से फोन आया और बातचीत बढ़ने लगी। मोनिका ने अपना परिचय देते हुए जहीर अहमद उर्फ रोहित सक्सेना नामक युवक को अपना भाई बताया। इसके बाद रोहित ने झूठा बहाना बनाकर कहा कि उसके माता-पिता और बहन का एक्सीडेंट हो गया है और इलाज के लिए पैसों की जरूरत है। भावुक होकर पीड़िता ने 20 हजार रुपये आरोपित के खाते में जमा कर दिए। इसके बाद रोहित लगातार पैसे मांगता रहा। आराेपित ने अपने माता-पिता और बहन की मौत का इल्जाम पीड़िता व उसकी सहेली रेखा देवी पर लगाने की धमकी दी। इससे डरी महिलाएं बार-बार रुपए देती रहीं और आरोपी के विभिन्न खातों में करीब 15 लाख 23 हजार रुपये जमा कर दिए। बाद में महिला ने

पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने मामला दर्ज की और जांच कर आरोप पत्र काेर्ट में दाखिल किया। काेर्ट में कुल 13 गवाहों ने बयान दर्ज कराये। सबूतों से साफ हुआ कि आरोपित ने धोखाधड़ी व धमकी देकर रकम वसूली थी। निचली अदालत ने 31 मार्च 2012 को आरोपित को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया। आरोपित ने इस फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 7 जून 2013 को अपील खारिज कर दी गई। इसके बाद आरोपित ने उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत और सेशन कोर्ट ने साक्ष्यों का गहन विश्लेषण कर सही निष्कर्ष निकाला है। इस पर पुनर्विचार की कोई जरूरत नहीं है। काेर्ट ने साफ कर दिया कि आरोपित के खिलाफ सभी दोष सिद्ध हैं और उसकी सजा कायम रहेगी।

(Udaipur Kiran) / लता

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