
कठुआ 25 जून (Udaipur Kiran) । नायब तहसीलदार के पदों के लिए आवेदन में उर्दू की अनिवार्यता के खिलाफ भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अरुण प्रभात की अध्यक्षता में बुधवार को कठुआ के मुखर्जी चैक में जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया गया।
बुधवार को कठुआ में इस भेदभावपूर्ण और क्षेत्रीय पक्षपातपूर्ण कदम के खिलाफ बड़ी संख्या में कठुआ के भाजयुमो कार्यकर्ता एकत्र हुए। विरोध प्रदर्शन में जोशीले नारे और तख्तियां लेकर युवाओं के सार्वजनिक रोजगार तक निष्पक्ष और समान पहुंच के अधिकारों पर जोर दिया। भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अरुण प्रभात ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए पूर्व उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की जिसने जम्मू क्षेत्र के युवाओं को दरकिनार करने वाली नीति पेश की। उन्होंने कहा उर्दू को लागू करना जम्मू के योग्य उम्मीदवारों को बाहर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है। इस तरह के क्षेत्रीय भेदभाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम इसे तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं। अरुण प्रभात ने कहा कि यह कदम भेदभावपूर्ण अनुचित है और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में समानता, समावेशिता और क्षेत्रीय निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के अंदर 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ऐसी है जिन्हें न उर्दू पढ़ने आता है ना लिखने आता है, यह सरकार उर्दू को जबरदस्ती थोपने का प्रयास कर रही ह,ै इससे सरकार की मंशा का पता चलता है कि यह कुछ वर्ग को फायदा दिलवाने का काम कर रहे हैं। प्रभात ने कहा कि जम्मू कश्मीर स्टेट ऑफिशल लैंग्वेज एक्ट 2020 के तहत हिंदी, इंग्लिश, डोगरी, कश्मीरी और उर्दू को मानयता दी गई है इन्हीं भाषाओं को ऑप्शनल रखा जाए। भाजयुमो ने उमर अब्दुल्ला सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया तो उनका आंदोलन जन आंदोलन का रूप ले लेगा जिसकी जिम्मेदारी उमर अब्दुल्ला सरकार की होगी।
—————
(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया
