
गुवाहाटी, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । असम प्रदेश भाजपा ने रविवार को एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा द्वारा चलाए जा रहे बेदखली अभियान को साहसिक और दूरदर्शी कदम बताया है। पार्टी ने कहा कि यह केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि असम की अस्मिता, धर्म, भाषा और अस्तित्व की रक्षा का आंदोलन है।
भाजपा ने आरोप लगाया कि बंगाल मूल के मुस्लिमों की निरंतर और संगठित घुसपैठ के कारण असम के कई जिलों में हिंदू अब वास्तविक अल्पसंख्यक बन गए हैं। बयान में कहा गया कि सैयद सादुल्ला के जमाने से ग्रो मोर फूड जैसी योजनाओं के नाम पर पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के लाखों लोगों को असम में बसाया गया, जिनको सरकारी भूमि, वन क्षेत्र और जनजातीय इलाकों में बसने की छूट दी गई।
भाजपा के अनुसार, इन बसाहटों ने असम के मौलिक जनसांख्यिकीय ढांचे को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पार्टी ने इसके लिए कुछ ठोस आंकड़े भी प्रस्तुत किए।
धुबड़ी ज़िले में 1991 से 2011 के बीच हिंदू आबादी केवल 5,563 बढ़ी, जबकि मुस्लिम आबादी में 6,14,234 की बढ़ोतरी हुई।
बरपेटा में हिंदुओं की संख्या 64,963 घटी, जबकि मुसलमानों की 4,21,062 बढ़ी।
बंगाईगांव में हिंदू आबादी 1,57,685 घटी, जबकि मुस्लिम आबादी 1,06,640 बढ़ी।
भाजपा ने कहा कि बरपेटा (70.74 फीसदी), दरंग (64.34 फीसदी), हैलाकांदी (60.31 फीसदी), ग्वालपाड़ा (57.52 फीसदी), नगांव (55.36 फीसदी) और मोरीगांव (52.56 फीसदी) जिलों में मुस्लिम आबादी बहुमत में है।
इसके साथ ही भाषा के स्तर पर भी बड़ा बदलाव हुआ है। दरंग में 1991 से 2011 के बीच असमिया भाषी 4,11,781 कम हुए, जबकि बांग्ला भाषी 2,68,224 बढ़े। इसी तरह मोरीगांव और धुबड़ी में भी बांग्ला भाषियों की संख्या कई गुना बढ़ी है।
भाजपा ने कहा कि इस मौन आक्रमण से असम की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को गहरा खतरा उत्पन्न हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने इस संकट का साहसपूर्वक सामना करते हुए अब तक 1.2 लाख बीघा से अधिक भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है।
पार्टी ने कहा, यह महज भूमि खाली कराने की कार्रवाई नहीं, बल्कि असम के आत्मा की रक्षा का संकल्प है। उन्होंने राज्य सरकार से अभियान को और तेज करने और हर इंच ज़मीन को मुक्त कराने की अपील की। भाजपा ने असम के हर मूलनिवासी नागरिक से इस पुनर्स्थापन, न्याय और अस्तित्व के आंदोलन में समर्थन देने का आह्वान किया।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
