Chhattisgarh

भाजपा सरकार आरटीआई कानून को कमजोर कर रही : कांग्रेस

कांग्रेस की पत्रकारवार्ता

रायपुर, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की जांच एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्हाेंने आज रव‍िवार को कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में आयाेजित पत्रकारवार्ता में कहा कि राज्य की जांच एजेंसियां लोकतंत्र की मूलभूत संरचना को चोट पहुँचा रही हैं। उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों का काम सिर्फ झूठे साक्ष्य गढ़ना और राजनीतिक मुकदमेबाजी करना बन गया है। बघेल ने आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून की 20वीं वर्षगांठ और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर आयोज‍ित पत्रकारवार्ता में चर्चा की गई। इस मौके पर पीसीसी चीफ दीपक बैज, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत सहित पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।

भूपेश ने कहा क‍ि जांच एजेंसियां पहले से ही फैसला लिखकर रखती हैं कि कौन दोषी है। अदालत में आप क्या सफाई देंगे, इसका कोई मतलब नहीं रह गया है। लोकतंत्र का ढांचा लड़खड़ा गया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में कोयला घोटाले के आरोपितों के खिलाफ कलमबंद बयान में छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान न्यायधीश के सामने खोलने के बजाय सरकार के अधिकारियों ने खोल दिया और उसमें कई पेजों के फोंट अलग-अलग थे। दो दिनों के अंदर 25 पेज का बयान लिया गया, जो सामान्य प्रक्रिया के बिल्कुल खिलाफ है।

भूपेश ने यह भी बताया कि वह बयान लिफाफे में बंद होकर अदालत में प्रस्तुत किया जाना चाहिए था, लेकिन उससे पहले ही वह मीडिया हाउसों के पास पहुँच गया। उन्होंने सवाल उठाया कि किसी भी मीडिया हाउस ने यह क्यों नहीं पूछा कि यह लीक कैसे हुआ।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा क‍ि यह कोई नया मामला नहीं है, पहले भी ऐसा होता रहा है। शिकायत करने के बाद भी यह सब जारी है। इसका मतलब है कि एसीबी और ईओडब्‍ल्‍यू को कानून और न्यायालय का कोई डर नहीं है। वे जो चाहे कर सकते हैं। भूपेश ने सरकार से अपील की कि जांच एजेंसियों की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए ताकि जनता का न्याय में भरोसा बना रहे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि “यूपीए सरकार द्वारा लाए गए सूचना का अधिकार कानून को आज 20 वर्ष पूरे हो गए हैं। यह कानून आम जनता को शासन-प्रशासन से जुड़ी जानकारी तक पहुँचाने का सबसे सशक्त माध्यम है।” उन्होंने याद दिलाया कि 12 अक्टूबर 2005 को आरटीआई कानून लागू हुआ था, जिसके बाद यूपीए सरकार ने 2005 में मनरेगा, 2006 में वन अधिकार अधिनियम, 2009 में शिक्षा का अधिकार और 2013 में भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजा कानून जैसे कई ऐतिहासिक कानून लागू किए।

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(Udaipur Kiran) / चन्द्र नारायण शुक्ल

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