
गुवाहाटी, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । असम के चाय श्रमिकों की समस्याओं और उनके अधिकारों को लेकर जारी विवाद आज एक नए मोड़ पर पहुंच गया। झारखंड के पूर्व राज्यसभा सांसद और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप बालमुषू ने गुवाहाटी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की नेतृत्व वाली सरकार असम के चाय उद्योग को नुकसान पहुंचा रही है।
बालमुषू ने चाय श्रमिकों के जनजातीय दर्जे की मांग उठाते हुए कहा कि जिन लोगों को झारखंड में जनजाति का दर्जा प्राप्त है, उन्हें असम में क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने राज्य सरकार पर चाय श्रमिकों को उनकी श्रम और मजदूरी के अधिकारों से वंचित करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक राजू साह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में असम की चाय बाग़ानें खतरे में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चाय बाग़ानों की जमीन कंपनियों को कम कीमत में बेचकर अन्य प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल कराने की योजना बना रही है। उन्होंने बताया कि हाल ही में ऊपरी असम में लाखों लोग अपने खर्च पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं और यह विरोध जोरहाट, शिवसागर, चराईदेव और शोणितपुर सहित अन्य जिलों में भी जारी रहेगा।
संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष बेदब्रत बोरा ने कहा कि चाय बाग़ानों में काम करने वाले श्रमिकों की जीवन-शैली और मजदूरी पहले से कम हो गई है। इसी विरोध में कांग्रेस ने 13 अक्टूबर से राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत की है। कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गगई के नेतृत्व में बिश्वनाथ जिले के प्रतापगढ़ चाय बाग़ान में चाय श्रमिकों के जनजातिकरण, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, मजदूरी बढ़ाने और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए व्यापक आंदोलन चलाया जा रहा है।
इस मौके पर कांग्रेस मीडिया विभाग के समन्वयक गोपाल शर्मा भी उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
