
जम्मू, 30 जून (हि.स.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जम्मू और कश्मीर के वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने हाल ही में विज्ञापित नायब तहसीलदार पदों के लिए उर्दू भाषा को अनिवार्य करने के फैसले पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए डॉ. बी.आर. अंबेडकर चौक (पनामा चौक), जम्मू में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में भाजपा के छह संगठनात्मक जिलों जम्मू, जम्मू दक्षिण, जम्मू उत्तर, जम्मू सीमा, अखनूर और कश्मीर विस्थापितों से व्यापक भागीदारी देखी गई।
भाजपा ने सरकार पर क्षेत्रीय और भाषाई भेदभाव का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि इस तरह के कदम उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सरकार की पक्षपातपूर्ण और कश्मीर केंद्रित नीतियों की याद दिलाते हैं जिसने लगातार जम्मू और उसके युवाओं के हितों की अनदेखी की है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता, डीडीसी अध्यक्ष भारत भूषण और भाजपा सचिव और विधायक अरविंद गुप्ता, विधायक चौ. विक्रम रंधावा, प्रो. घारू राम भगत, सुरिंदर भगत, डॉ. राजीव भगत और मोहन लाल भगत, डीडीसी उपाध्यक्ष सूरज सिंह, डीडीसी सुरेश शर्मा, धर्मिंदर कुमार, पूर्व मेयर जेएमसी राजिंदर शर्मा, सचिव वीनू खन्ना, अंजू डोगरा, अयोध्या गुप्ता, प्रभात सिंह जामवाल, राकेश महाजन, एडवोकेट पूर्णिमा शर्मा, डॉ. प्रदीप महोत्रा, डॉ. ताहिर चौधरी, संजीता डोगरा, अरुण प्रभात, वेद शर्मा, प्रेम गुप्ता, बावा शर्मा, जिला अध्यक्ष नंद किशोर, एडवोकेट राजेश गुप्ता, नरेश सिंह जसरोटिया, रिंकू चौधरी, कुलदीप शर्मा, राजीव पंडिता और अन्य वरिष्ठ नेता और पार्टी कैडर ने आयोजित जोरदार विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।
कविंदर गुप्ता ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह जम्मू के युवाओं को समान अवसर से वंचित करने का एक सोचा-समझा प्रयास है। उर्दू को अनिवार्य बनाना उन्हीं विभाजनकारी नीतियों को दर्शाता है जो उमर अब्दुल्ला की सरकार ने अपने पिछले कार्यकालों के दौरान प्रचारित की थीं। हम उस अन्याय की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रीय भाषाएं भी हैं, तथा केवल एक भाषा के प्रति उनके अप्रतिबंधित प्रेम पर सवाल उठाया। भारत भूषण ने कहा कि सरकार को इस निर्णय पर तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए। यह अस्वीकार्य है कि उर्दू भाषा के कारण जम्मू-कश्मीर के अधिकांश युवाओं को जबरन सरकारी नौकरी से वंचित किया जा रहा है। यह युवाओं के साथ सीधा भेदभाव है। अरविंद गुप्ता ने कहा कि यह समानता और योग्यता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। भर्ती योग्यता के आधार पर होनी चाहिए न कि भाषा के आधार पर। भाजपा जम्मू के युवाओं के साथ खड़ी है तथा इस तरह के लक्षित भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेगी।
प्रोफेसर घारू राम भगत ने कहा कि भाषा संबंधी शर्त अनुचित और असंवैधानिक है। ऐसी शर्तों के माध्यम से अधिकांश युवाओं को जानबूझकर प्रतियोगिता से बाहर रखा जा रहा है। हम इसे तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं। चौधरी विक्रम रंधावा ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार जम्मू के युवाओं की भावनाओं की अनदेखी करके आग से खेल रही है। यदि इस नीति को समाप्त नहीं किया गया तो हम चुप नहीं बैठेंगे। हमारी लड़ाई हर जिले में तेज होगी। विरोध प्रदर्शन के बाद भाजपा नेताओं ने संभागीय आयुक्त को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा जिसमें नायब तहसीलदार पदों के लिए उर्दू भाषा के मानदंड को तत्काल वापस लेने, समान रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने और केंद्र शासित प्रदेश की भाषाई विविधता का सम्मान करने की मांग की गई। विरोध प्रदर्शन का समन्वय एडवोकेट राजेश गुप्ता ने किया।
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(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
