
काठमांडू, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । नेपाल के शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान में इस वर्ष 19 दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी पाए गए हैं। इन दुर्लभ पक्षियों में छोटी टाइट, सारस, काले पैर वाले ईगल, काले पैर वाले गिद्ध और छोटे भूरे रंग के गिद्ध, सुनहरे गिद्ध, भीमकाय बाज, लुप्तप्राय बाज़, सफेद गले वाले तीतर और कई अन्य प्रजातियां शामिल हैं।
शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान 465 दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों का घर है, जिनमें से इस वर्ष 19 को दुनिया भर में दुर्लभ माना गया है। नेपाल की बर्ड कंजर्वेशन सोसाइटी (बीसीएन) के पक्षी विज्ञानी हिरुलाल डगौरा के अनुसार इनमें से सबसे अधिक लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड है। यह ऐसा पक्षी है, जो घास के मैदानों में रहता है और शुक्लाफांटा की पहचान से निकटता से जुड़ा हुआ है। पार्क में इसकी जनसंख्या बहुत कम है। शुक्लाफांटा के लिए अद्वितीय सुनहरे कैनन पक्षी को लालपानी, मोहनपुर और सिंहपुर जैसे घास के मैदानों में देखा जा सकता है। यह पक्षी आर्द्रभूमि और घास के मैदानों के पास कांटेदार पेड़ों में घोंसला बनाता है, जिसमें कभी-कभी एक ही पेड़ में दर्जनों घोंसले पाए जाते हैं।
इस उद्यान में सफेद गले वाले तीतर जैसे प्रवासी पक्षी सर्दियों में आते हैं, जबकि सारस अक्सर झीलों में आते हैं। इस उद्यान में विभिन्न गिद्ध भी रहते हैं। शुक्लाफांटा गिद्धों की आठ प्रजातियों का घर है, जिनमें से चार सेबल गिद्ध, कम धूसर गिद्ध, सुनहरा गिद्ध और सफेद गिद्ध गंभीर रूप से लुप्तप्राय हैं।
डगौरा के अनुसार यहां सेबल गिद्धों की आबादी थोड़ी बढ़ी है, लेकिन अन्य प्रजातियों की संख्या बहुत कम है। यहां की सभी गिद्ध प्रजातियां प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध हैं। यह उद्यान सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक प्रमुख गंतव्य है। दुर्लभ जलपक्षी, जैसे काले सिर वाला बतख इस मौसम के दौरान पार्क के तालाबों में जाते हैं।
नेपाल की बर्ड कंजर्वेशन सोसाइटी ने हाल ही में एक सर्वेक्षण कराया है, जिसमें शुक्लाफांटा और उसके आसपास की आर्द्रभूमि में लगभग 5,882 जलपक्षी दर्ज किए गए। सर्दियों के दौरान अपने प्रचुर मात्रा में पक्षियों के जीवन के कारण यह उद्यान पक्षियों पर नजर रखने वालों के लिए एक लोकप्रिय स्थान बन गया है। लगभग 305 वर्ग किलोमीटर में फैले शुक्लाफांटा में 71 प्रतिशत वन हैं, जिसमें 80 प्रतिशत से अधिक वन साल के पेड़ों से बने हैं। ये वन और घास के मैदान उद्यान की समृद्ध एवियन विविधता के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / पंकज दास
