
रांची, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । शिक्षा विभाग की ओर से दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी को कक्षा दो से 11 वीं तक के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने का निर्णय स्वागत योग्य है। लेकिन इसके अलावे झारखंड आंदोलन के कई अन्य जननायक हैं। जिनकी जीवनी भी पाठ्यक्रम में शामिल की जाए। यह बातें झारखंड के आंदोलनकारी नेता सूर्य सिंह बेसरा ने मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।
उन्होंने सवाल उठाया कि झारखंड ने कई निर्माताओं का झारखंड आंदोलन में अहम योगदान रहा है। इनका पूरा इतिहास स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बननी चाहिए। इस पर सरकार ध्यान दे।
बेसरा ने कहा कि झारखंड आंदोलन की पृष्ठभूमि 1915 में छोटानागपुर उन्नति समाज से शुरू होकर 1938 की आदिवासी महासभा, 1950 में जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में झारखंड पार्टी, 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की अस्वीकृति और 1963 में पार्टी का कांग्रेस में विलय जैसे ऐतिहासिक पड़ावों से होकर गुजरी। उन्होंने वर्ष 1973 में विनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन और एके राय के नेतृत्व में झामुमो के गठन, 1986 में आजसू की स्थापना, 1987 में निर्मल महतो की शहादत, 1989 में आजसू के नेतृत्व में ऐतिहासिक झारखंड बंद और दिल्ली में केंद्र सरकार को वार्ता के लिए बाध्य करने की घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि निर्मल महतो का बलिदान, उनका त्याग और हजारों कार्यकर्ताओं का संघर्ष ही 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य निर्माण की नींव बना। बेसरा ने मांग किया कि शिक्षा विभाग राज्य निर्माण से जुड़े सभी नायकों की जीवनी और झारखंड आंदोलन का इतिहास पाठ्यक्रम में शामिल करे, ताकि नई पीढ़ी अपने असली इतिहास से परिचित हो सके।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
