
कोलकाता, 30 जून (Udaipur Kiran) । समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए पश्चिम बंगाल के तटवर्ती इलाकों में अब वैज्ञानिक ढंग से टैगिंग की जाएगी, जिससे इनकी पहचान और निगरानी आसान हो सके। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोमवार को ने यह बात कोलकाता में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) के 110वें स्थापना दिवस समारोह के उद्घाटन के मौके पर कही। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित ‘एनिमल टैक्सोनॉमी समिट-2025’ का उन्हाेंने उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन एक से तीन जुलाई तक आयोजित होगा, जिसमें देश-विदेश से आए विशेषज्ञ भाग लेंगे।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया समुद्री और तटीय जीवों के संरक्षण के लिए विशेष अभियान चला रहा है। इसके तहत ओडिशा के तटों पर टैगिंग की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है और अब यह कार्य पश्चिम बंगाल के तटों तक बढ़ाया जा रहा है। बताया कि ओडिशा में ‘ऑलिव रिडले’ प्रजाति के कछुओं की टैगिंग में उल्लेखनीय सफलता मिली है, जिससे उनके प्रवास और व्यवहार की निगरानी संभव हो सकी है। इसी अनुभव के आधार पर अब बंगाल के समुद्री जीवों को भी टैग किया जाएगा, ताकि पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर तरीके से समझा और संरक्षित किया जा सके।
कार्यक्रम में मौजूद वैज्ञानिकों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए पर्यावरणीय शोध को और मजबूत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। जेडएसआई के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था देश की जैव विविधता के दस्तावेजीकरण और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
इस विशेष अवसर पर ‘110 घंटे का हैकाथन’ भी सम्पन्न हुआ, जो कि देशभर के 16 क्षेत्रीय केंद्रों में एक साथ आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का नवाचार आधारित समाधान प्रस्तुत करना था। हैकाथन के फाइनल में लद्दाख विश्वविद्यालय, लेह की टीम को एक लाख का प्रथम पुरस्कार मिला। द्वितीय पुरस्कार सेंट एंटनी कॉलेज, शिलांग की टीम को 75 हजार और फकीर मोहन विश्वविद्यालय, बालासोर की टीम को 50 हजार का तृतीय पुरस्कार मिला।
जेडएसआई की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी के नेतृत्व में तैयार की गई “चेकलिस्ट ऑफ फॉना ऑफ इंडिया वर्शन 2.0” का भी लोकार्पण किया गया, जिसमें अब तक की 1,05,244 प्रजातियों और उप-प्रजातियों की सूची शामिल है। इसमें सबसे अधिक विविधता कीट वर्ग में पाई गई, जबकि कशेरुकों में मछलियों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है।
केन्द्रीय मंत्री ने ‘एनिमल डिस्कवरीज़ 2024’ नामक रिपोर्ट भी जारी की, जिसमें भारत में खोजी गई 683 नई प्रजातियों की जानकारी दी गई है। सबसे अधिक नई प्रजातियां केरल (101) से रिपोर्ट की गई हैं, इसके बाद कर्नाटक (82), अरुणाचल प्रदेश (72), तमिलनाडु (63) और पश्चिम बंगाल (56) का स्थान है। साथ ही पौधों पर आधारित ‘प्लांट डिस्कवरीज 2024’ रिपोर्ट का भी विमोचन किया गया, जिसमें 410 प्रजातियां दर्ज की गई हैं।
कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना के काउंटर इंसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जो हिमालयी क्षेत्र के खाद्य व औषधीय महत्व के जीवों पर शोध को लेकर है। इसके अलावा, इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के साथ भी एक अहम एमओयू किया गया, जिसके तहत भारतीय वनस्पति और जीवों की राष्ट्रीय रेड लिस्ट विकसित की जाएगी।
समारोह के पश्चात एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन भी किया गया जिसमें वन्यजीव संरक्षण में पारंपरिक ज्ञान की भूमिका पर छह व्याख्यान प्रस्तुत किए गए और खुले सत्र में विचार-विमर्श हुआ।
कार्यक्रम के अंत में एक सांस्कृतिक प्रस्तुति भी आयोजित की गई, जिसमें पर्यावरणीय विषयों को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया और जेडएसआई के जनजागरूकता प्रयासों को रेखांकित किया गया। तीन दिवसीय अनिमल टैक्सोनॉमी समिट में टैक्सोनॉमी, सिस्टमैटिक्स और जीव विविधता संरक्षण विषयों पर चर्चा की जाएगी। इसमें भारत सहित पांच देशों के 500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।—————————-
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
