Uttar Pradesh

भारतीय भाषाओं के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक सेतु के रूप में कार्य कर रहा बीएचयू : प्रो.अजित कुमार चतुर्वेदी

संगोष्ठी

वाराणसी,16 नवम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि यह विश्वविद्यालय विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक सेतु के रूप में कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय सदैव भारतीय भाषाओं, साहित्य और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध रहा है।

कुलपति रविवार को “ओड़िया एवं हिंदी भक्ति साहित्य: एक तुलनात्मक विमर्श” विषयक गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। बीएचयू ओडिशा साहित्य अकादमी, कवि सम्राट उपेन्द्र भंज ओड़िया चेयर तथा वाराणसेय उत्कल समाज के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी में कुलपति ने कहा कि मैं चाहता हूँ की इस संगोष्ठी के माध्यम से जो समानताएं उजागर होंगी वो केवल समानताएं ही न हो बल्कि कई विशिष्टताएं भी उजागर हों। इस अवसर पर भक्ति साहित्य के विद्वानों और विशेषज्ञों ने दोनों भाषाओं की अध्यात्म, काव्य परंपरा और सांस्कृतिक विरासत पर अपनी बात रखी।

स्वागत भाषण केएसयूबी ओड़िया चेयर के संयोजक एवं वाराणसेय उत्कल समाज के अध्यक्ष प्रो. गोपबंधु मिश्र ने दिया। उन्होंने ओड़िया और हिंदी भक्ति साहित्य के पारस्परिक प्रभाव और उनके आध्यात्मिक स्वरूप को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य सभी को ओड़िशा से बाहर उड़िया भाषा, संस्कृति कला, संगीत, साहित्य और इतिहास से परिचित कराना और उड़ीसा के गौरव को प्रतिष्ठित करना है।

उड़ीसा साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. चंद्रशेखर होता ने क्षेत्रीय साहित्यिक परंपराओं के अकादमिक अध्ययन को और मजबूत करने तथा विश्वविद्यालय समुदाय में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर जोर दिया। संगोष्ठी में डॉ. प्रफुल्ल कुमार मिश्र, प्रो. रवीन्द्रनाथ मिश्र, प्रो. बलराज पांडेय, डॉ. प्रीति त्रिपाठी, प्रो. बाबाजी चरण पटनायक, डॉ. सुधाकर दाश, डॉ. प्रदीप्त कुमार पंडा, डॉ. बाउरीबन्धु साहू तथा प्रो. ओम प्रकाश सिंह (जेएनयू) ने भी विचार प्रकट किया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय तथा भगवान जगन्नाथ की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित से हुई। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमिय कुमार सामल ने दिया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी