Madhya Pradesh

भोपालः जून माह में क्लब फूट जागरूकता के लिए आयोजित होंगी विशेष गतिविधियां

– 2019 में भोपाल को हो चुका है क्लब फूट मुक्त

भोपाल, 06 जून (Udaipur Kiran) । क्लब फूट बीमारी की जागरूकता के लिए हेल्दी स्टेप्स, हेल्दी लाइफ की थीम पर जागरूकता माह का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत जून माह में क्लब फूट जागरूकता एवं नए मरीजों को चिन्हित करने के लिए विशेष गतिविधियां की जाएंगी। क्लब फूट राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत चिह्नांकित 32 बीमारियों में से एक है। जून माह में क्लब फूट क्लिनिक में शिविर आयोजित कर नए बच्चों का चिह्नांकन किया जाएगा। भोपाल जिले को नवंबर – 2019 में क्लब फूट मुक्त किया जा चुका है। यह जानकारी गुरुवार को भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने दी।

उन्होंने बताया कि भोपाल में इस बीमारी का कोई भी बैकलॉग शेष नहीं है। सभी नए केसेस को जन्म के तुरंत बाद चिह्नित कर उपचारित किया जा रहा है। जून माह के दौरान सभी प्रसव केंद्रों, एसएनसीयू एवं एनबीएसयू में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ का उन्मुखीकरण किया जाएगा। साथ ही जिला एवं विकासखंड स्तर पर स्क्रीनिंग शिविर भी लगाए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि भारत में हर वर्ष लगभग 33000 बच्चे क्लब फुट की समस्या के साथ जन्म लेते हैं। क्लब फूट के इलाज के तीन चरण होते हैं। पहला कास्टिंग, दूसरा टेनोटोमी और तीसरा ब्रेसिंग। उपचार के बाद बच्चे को ब्रेसेस दिए जाते हैं जो कि अगले 3 महीने तक के लिए रात और दिन पहनाया जाना आवश्यक होता है। केवल बच्चों को नहलाते समय ही इसे उतरना होता है। 3 महीने की अवधि के बाद ब्रेसेस को केवल दिन और रात में सोते समय पहनना आवश्यक होता है। यह ब्रेसेस 4 से 5 साल तक पहनने की आवश्यकता होती है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तिवारी ने बताया कि क्लब फूट एक जन्मजात दोष है। जिसमें बच्चे के एक या दोनों पैर अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं। एक हजार नवजात बच्चों में से 1 या 2 बच्चों को क्लब फुट होने की आशंका रहती है। इलाज के बाद यह बच्चे अन्य बच्चों की तरह सभी गतिविधियां सामान्य रूप से कर सकते हैं। बच्चे का उपचार जन्म के तुरंत बाद ही शुरू किया सकता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भोपाल में पिछले 10 सालों में 400 से अधिक बच्चों को इस बीमारी का उपचार मिल चुका है। पिछले साल 30 बच्चों को उपचारित किया गया है। इलाज के बाद कास्टिंग एवं ब्रेसेस नि:शुल्क दिए जाते हैं। विगत 6 माह में 17 बच्चों को ब्रेसेस दिए जा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से क्लब फूट क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। क्लिनिक में क्लब फूट की सर्जरी के बाद बच्चों को विशेष प्रकार के जूते या ब्रेसेस निशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। यह क्लिनिक जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में हर गुरुवार को संचालित होता है। जिन बच्चों मे तिरछे पैर या क्लब फूट की समस्या है वे डीईआईसी में बच्चों का नि:शुल्क इलाज करवा सकते हैं।

(Udaipur Kiran) /नेहा

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