Madhya Pradesh

भोपाल : कर्मचारी पदोन्नति नियमों का विरोध,आज टोपी पहनकर तो गुरुवार काे मंत्रालय गेट क्रमांक एक पर

कर्मचारी पदोन्नति नियमों का विरोध (फाइल फोटो)

भोपाल, 25 जून (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में नए प्रमोशन नियमों का विरोध करने के लिए सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी साथ आए हैं। इन सभी का मानना है कि अनारक्षित वर्ग के साथ पदोन्‍नति के मामले में अन्‍याय हो रहा है, जिसका कि हम सभी समान रूप से विरोध कर रहे हैं। अब विरोध स्‍वरूप बुधवार 25 जून को सभी कर्मचारी पदोन्नति नियमों के विरोध की टोपी पहनकर काम करेंगे। उसके बाद 26 जून गुरुवार को वल्लभ भवन के गेट नंबर-1 पर लंच टाइम में शांतिपूर्ण शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

इस संबंध में मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक का कहना है कि आरक्षित वर्ग के लोग पिछले अपने कार्यकाल के दौरान दो से तीन पदोन्नति लेकर उच्च पदों पर पहुंच गए हैं, दूसरी ओर वे अनारक्षित वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी हैं कि अधिक मेहनत करके, योग्‍तम श्रेणी में अधिक अंक लाकर भर्ती होने के बाद भी प्रथम नियुक्ति के ही पद पर पड़े हुए हैं, जिसमें से कुछ ही ऐसे हैं जिन्‍हें अब तक एकाध पदोन्नति मिल सकी है। नायक कहते हैं, यह सब 2002 के पदोन्नति नियमों के कारण हो रहा है। इन नियमों ने अनारक्षित वर्ग की बहुत बुरी स्थिति कर दी है।

इनका कहना है कि कनिष्ठ कर्मचारियों के उच्च पदों पर कम समय में ही पहुंच जाने से उच्च स्तर पर प्रशासनिक दक्षता में लगातार गिरावट आ रही है, जिसे कि सभी उच्च अधिकारी स्वीकार अपनी चचाओं में स्‍वीकार भी करते हैं।इंजीनियर सुधीर नायक ने कहा कि उम्मीद थी कि पुराने अनुभवों से सीख लेकर नए नियमों में न्यायसंगत व्यवस्था कायम की जाएगी। लेकिन अब लगता है कि वह भी नहीं हुआ, बल्‍कि नए नियम, पुराने नियमों जोकि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किए जा चुके हैं, उनकी प्रतिकृति प्रतीत हो रहे हैं।

उन्‍होंने कहा, इसके साथ ही यहां यह भी ध्‍यान में आता है कि कुछ मामलों में नए नियम पुराने नियमों से भी अधिक हानिकारक हैं। जैसे पुराने नियमों में यह प्रावधान था कि जितने आरक्षित पदों पर आरक्षित वर्ग के लोग आ जाएंगे बाद में उतने पद समायोजित किए जाएंगे। यद्यपि इस प्रावधान के तहत समायोजन कभी नहीं हुआ परन्तु कम से कम यह प्रावधान तो था, लेकिन नए नियमों में यह प्रावधान ही हटा दिया गया है। मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक के वक्‍तव्‍य से सपाक्स के प्रांतीय अध्यक्ष के एस तोमर भी यहां सहमत नजर आए हैं। उन्‍होंने कहा है कि हम अपनी बात प्रशासन तक शांतिपूर्ण तरीके से पहुंचाने में विश्‍वास रखते हैं और इसीलिए हमने शांतिपूर्वक अपना आन्‍दोलन अपने साथ हो रहे अन्‍याय के विरोध में शुरू किया है।

उल्‍लेखनीय है कि लोकसेवा पदोन्नति नियम 2025 से मध्यप्रदेश सरकार से अधिकारी-कर्मचारी संगठन नाराज हैं। संगठनों ने संकेत दिए हैं कि वे सरकार के इस फैसले के विरोध में कोर्ट जा सकते हैं। सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (स्पीक) इसे सामान्य वर्ग विरोधी बता रही है। हालांकि, आरक्षित वर्ग के संगठन अजाक्स ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा कि, इस व्यवस्था के चालू होने से सभी वर्गों को पदोन्नति का मौका मिलेगा।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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