Maharashtra

बीएचएमएस डॉक्टरों को अंग्रेजी दवाइयां लिखने का मामला गहराया, विरोध में उतरा मार्ड

मुंबई, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । महाराष्ट्र में बीएचएमएस डॉक्टरों को अंग्रेजी दवाइयां लिखने की अनुमति देने का मामला गहराता जा रहा है। इसके खिलाफ रेजिडेंट डॉक्टरों की यूनियन मार्ड उठ खड़ी हुई है। राज्य सरकार से इस फैसले को फौरन रद्द करने और बीएचएमएस डॉक्टरों को महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद (एमएमसी) रजिस्टर में शामिल न करने की मांग की गई है।

सेंट्रल मार्ड और बीएमसी मार्ड ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। मार्ड ने कहा है कि सीसीएमपी पाठ्यक्रम सतही और अपर्याप्त है। सीसीएमपी केवल एक वर्षीय ब्रिज कोर्स है। इसमें चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, प्रसूति व स्त्री रोग, और पीएसएम शामिल हैं। इसमें बाल रोग, नेत्र रोग, ईएनटी, मनोचिकित्सा, हड्डी रोग, त्वचा रोग, रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया आदि शामिल नहीं है। सीसीएमपी केवल एक ओरियनटेंशन पाठ्यक्रम है। इसके माध्यम से लाइसेंस प्रदान करना कानूनी रूप से गलत है। यह एनएमसी नियमों का भी उल्लंघन करता है। यह एमबीबीएस पाठ्यक्रम + 1 वर्ष की इंटर्नशिप का विकल्प नहीं हो सकता। बीएचएमएस डॉक्टर पहले से महाराष्ट्र होम्योपैथी परिषद (एमसीएच) के तहत पंजीकृत हैं। उन्हें एमएमसी में शामिल करने से मरीजों के इलाज में जोखिम निर्माण हो सकता है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नियमों के अनुसार आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने का लाइसेंस केवल एमबीबीएस और उच्च डिग्री धारकों को ही दिया जाता है।

मार्ड के अनुसार यह दावा करना कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के लिए सीसीएमपी आवश्यक है, यह अनुचित है। सूबे में लगभग 2,366 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। लेकिन कई बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पूरी तरह से कार्यरत नहीं हैं। हर साल, 10,800 से ज़्यादा एमबीबीएस छात्रों का प्रवेश होता है। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने के इच्छुक कई एमबीबीएस डॉक्टर बिना पोस्टिंग के रह जाते हैं। बीएचएमएस + सीसीएमपी डॉक्टरों के पास एमबीबीएस स्तर का प्रशिक्षण नहीं है। उन्हें एलोपैथिक दवाइयां लिखने की अनुमति देने से मरीजों को नुकसान पहुंचने का ख़तरा है। इससे एमबीबीएस और एमडी व एमएस प्रशिक्षण का मूल्य कम होगा। हम एमएमसी में बीएचएमएस + सीसीएमपी डॉक्टरों को शामिल करने का कड़ा विरोध करते हैं। राज्य सरकार से हम ग्रामीण क्षेत्रों में इच्छुक एमबीबीएस डॉक्टरों को नियुक्त करने की मांग करते हैं।

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(Udaipur Kiran) / वी कुमार

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