Madhya Pradesh

भारतीय किसान संघ ने जिले की सातों तहसील मुख्यालयों पर किया धरना प्रदर्शन

भारतीय किसान संघ ने जिले की सातों तहसील मुख्यालयों पर किया धरना प्रदर्शन

जबलपुर, 10 सितंबर (Udaipur Kiran News) । भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में प्रदेश व्यापी आंदोलन के तहत बुधवार को मप्र के जबलपुर जिले की सातों तहसीलों में किसानों में बड़ा आक्रोश देखने मिला। खाद की कमी, नकली बीज, बिजली कटौती, उपार्जन में लापरवाही, धान, गेहूं, मूंग उड़द के रुके भुगतान को लेकर किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया। तहसील मुख्यालयों में पहुंचे सैकड़ों किसानों ने अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन पत्र प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व कलेक्टर के नाम तहसीलदार को सौंपे और किसानों की समस्याओं का शीघ्र निराकरण करने की बात कही।

उज्जैन में सिंहस्थ के नाम पर किसानों की जमीन छीनने वाले लैंड पुलिंग एक्ट के खिलाफ भी किसानों ने जमकर नारे लगाए। जिला सह मंत्री सुनील पटेल ने कहा कि जिस प्रकार से उज्जैन में लैंड पुलिंग एक्ट में किसानों की जमीन छीनी जा रही है। देर सवेर गुजरात महाराष्ट्र की तर्ज पर सरकार हाइवे के दोनों ओर एक किलोमीटर तक किसानों की जमीन बिना मुआवजा दिए अधिगृहित कर सकती है। जमीन किसानों की पीढ़ियों की विरासत है इसलिए किसानों की जमीन छीनने वाले लैंड पुलिंग एक्ट को सरकार को तत्काल वापिस लेना चाहिए। किसान हर कीमत पर अपनी जमीन को बचाने संघर्ष करेगा।

अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन में किसानों ने केंद्र सरकार से कृषि आदान सामग्री पर जीएसटी शून्य करने, कृषि आयात निर्यात नीति किसान हितैषी बनाने, जीएम फसलों को अनुमति नहीं देने, एमएसपी पर वर्ष भर खरीदी सुनिश्चित हो, भूमि अधिग्रहण कानून सभी राज्यों में एक समान करने, कृषि डीजल जीएसटी के दायरे में करने, किसान सम्मान निधि बढ़ाने, फसल बीमा में सैटेलाइट सर्वे अमान्य, केसीसी लोन की लिमिट पांच लाख करने जैसी सत्रह मांगे किसानों ने ज्ञापन में की हैं।

गेहूं 2700 व धान 3100 रुपए में खरीदी हो।

भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही कि मांग की गयी इसके साथ ही

तहसील मुख्यालयों में हुए किसानों के प्रदर्शन में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर किसानों में तीव्र आक्रोश देखने मिला। एमएलटी वेयर हाउस में मूंग खरीदी की जांच में किसानों ने बड़े अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया। किसानों ने जिले में तीन साल से अधिक समय से जमे कृषि अधिकारियों को जिले से स्थानांतरित करने की भी मांग की।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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